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राजस्‍थान: 1999 के बाद फिर दोहराया इतिहास, अब राज्‍यसभा चुनाव में भी लगा BJP को झटका

June 11, 2022

जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) में राज्यसभा की एक सीट पर वोटिंग में कुछ ऐसा हुआ है कि साल 1999 में एक वोट से वाजपेयी सरकार (Vajpayee government) गिरने की घटना की यादें ताजा हो गई हैं. हालांकि उस समय संसद में वाजपेयी सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने में हारी थी. यहां पर राज्यसभा (Rajya Sabha) की एक सीट के चुनाव का मामला है. यहां तीन सीटों पर कांग्रेस (Congress) और एक सीट पर बीजेपी चुनाव जीती है. बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को निराशा हाथ लगी है. सबसे रोचक बात यह रही कि बीजेपी के ही एक विधायक ने क्रॉस वोटिंग की और कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद तिवारी को वोट दिया. उसी एक वोट से कांग्रेस के प्रमोद तिवारी राज्यसभा का चुनाव जीत पाए. फिलहाल, प्रमोद का दूसरी बार राज्यसभा पहुंचने का रास्ता साफ हो गया.

इधर, बीजेपी हाईकमान ने राजस्थान में क्रॉस वोटिंग पर नाराजगी जताई है. पार्टी हाईकमान ने तत्काल प्रदेश अध्यक्ष से पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की और कुछ ही देर बाद क्रॉस वोटिंग करने वालीं विधायक शोभारानी कुशवाहा को पार्टी से सस्पेंड कर दिया है. बता दें कि राजस्थान में जीत के लिए 41 वोट चाहिए थे. प्रमोद तिवारी को 41 वोट मिले.



राजस्थान में किसे कितने वोट मिले
कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला को 43 वोट, मुकुल वासनिक को 42, प्रमोद तिवारी को 41 वोट वोट मिले. वासनिक के खाते का एक वोट रिजेक्ट हुआ है. वहीं, बीजेपी के घनश्याम तिवाड़ी को 43 वोट मिले और वे चुनाव जीते. जबकि निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. सुभाष चंद्रा को 30 वोट मिल सके. वे चुनाव हार गए.

बीजेपी की क्रॉस वोटिंग से जीते प्रमोद
बता दें कि राजस्थान में मुकुल वासनिक को 42 वोट मिले. वासनिक के खाते का एक वोट रिजेक्ट हुआ है. यह भी रोचक है कि बीजेपी विधायक शोभारानी के एक वोट से प्रमोद तिवारी जीते हैं. राजस्थान में जीत के लिए 41 वोट चाहिए थे. प्रमोद को 41 वोट मिले.

प्रमोद तिवारी लगातार 9 बार जीते विधायक का चुनाव
बता दें कि प्रमोद तिवारी कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं. वे यूपी के रामपुर विधानसभा से लगातार 9 बार विधायक रहे हैं. प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा इस सीट से चुनाव जीती हैं. आराधना यूपी विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल की नेता हैं.

चार सीटों पर पांच उम्मीदवार उतरे थे
बता दें कि राजस्थान की चार सीटों पर चुनाव में पांच उम्मीदवार मैदान में थे. आंकड़े के लिहाज से कांग्रेस की दो और बीजेपी की एक सीट पक्की थी. कांग्रेस ने तीसरे कैंडिडेट के तौर पर प्रमोद तिवारी को उतार दिया. प्रमोद को टक्कर देने के लिए सुभाष चंद्रा ने निर्दलीय नामांकन किया. सुभाष चंद्रा क्रॉस वोटिंग के जरिए जीत का दावा कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस आंकड़े अपने पक्ष में बताकर तीनों सीटों पर जीत का दावा करती आ रही थी. आखिरी वक्त में कांग्रेस ने बीजेपी के एक वोट में सेंध लगाकर जीत हासिल की.

राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं जिनमें कांग्रेस के 108 विधायक हैं. इनमें बीजेपी के 71, निर्दलीय 13, बीटीपी 2, सीपीएम 2, आरएलडी का एक विधायक है. कांग्रेस का दावा था कि उनके 108 विधायक, 13 निर्दलीय, 2 सीपीएम, 2 बीटीसी और एक आरएलडी के विधायकों समेत 126 विधायकों का समर्थन है.

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