जयपुर। राजस्थान में सियासी उठापटक बरकरार है। कांग्रेस ने आज देश के सभी राज्यों में राजभवन पर हल्ला बोल किया है, हालांकि कांग्रेस राजस्थान में ऐसा कुछ नहीं कर रही है। इस बीच राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका वापस ले ली है। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने का आदेश दे दिया है। राज्यपाल बोले- उनका ऐसा कोई इरादा कभी नहीं रहा कि सत्र न बुलाया जाए।
राज्यपाल ने इस बात से भी इनकार किया है कि वह जानबूझकर विधानसभा सत्र बुलाने में देरी कर रहे थे। बता दें कि कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल कलराज मिश्र पर आरोप लगाते आए हैं कि वह केंद्र सरकार के इशारे पर सदन का सत्र बुलाने और विश्वास मत में देरी कर रहे हैं। कांग्रेस ने कहा था कि राज्यपाल ने ऐसा करके लोकतंत्र को बाधित करने का सबसे खराब तरीका अपनाया है।
इससे पहले राज्यपाल मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने का राज्य मंत्रिमंडल के संशोधित प्रस्ताव को कुछ बिंदुओं के साथ गहलोत सरकार को वापस भेज दिया था। राज्यपाल ने कहा इसे लेकर कहा था कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है। इसके साथ ही राजभवन की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया था कि राजभवन की विधानसभा सत्र न बुलाने की कोई मंशा नहीं है।
इसके पूर्व राजस्थान हाईकोर्ट ने बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले को लेकर बीजेपी विधायक मदन दिलावर की ओर से दाखिल याचिका खारिज कर दी है। मूल याचिका खारिज होने के साथ ही बसपा की पक्षकार बनने की अर्जी भी रद्द हो गई है। इससे पहले हाईकोर्ट ने स्पीकर से बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय को लेकर जवाब मांगा था। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी का जवाब मिलने के बाद हाईकोर्ट ने बीजेपी विधायक की याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट के इस फैसले को सीएम गहलोत के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखी जा रही है। दूसरी तरफ, वरिष्ठ अधिवक्ता शांतनु पारीक ने राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र को हटाने की मांग की है। उन्होंने नबाम रेबिया मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्यपाल ने कैबिनेट नोट के बाद भी विधानसभा का सत्र न बुलाकर संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन किया है।
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