जयपुर । किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट (National President of Kisan Mahapanchayat Rampal Jat) ने कहा कि राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) द्वारा सरसों की खरीद शुरू करना (Starting Mustard Procurement) किसानों की जीत है (Is Victory of Farmers) ।
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने रविवार को कहा कि राज्य सरकार किसानों को सरसों और चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने में पूरी तरह से सक्षम है। उन्होंने सरसों खरीद की शुरुआत को 15 वर्षों के लंबे संघर्ष का परिणाम बताया और खरीद केंद्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि का स्वागत किया।
जाट ने 2010 में मूंग की खरीद में किसानों को हुए नुकसान का जिक्र करते हुए कहा कि एमएसपी तय होने के बावजूद किसानों को औने-पौने दामों पर फसल बेचने को मजबूर होना पड़ा था। उन्होंने किसान महापंचायत के प्रयासों से इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की बात कही और मुख्यमंत्री द्वारा सरसों खरीद शुरू करने को किसानों की जीत बताया। हालांकि, उन्होंने मूंगफली खरीद को लेकर सरकार के दावों को “आधा सच” करार दिया।
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सरसों और चने के उत्पादन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि कुल उत्पादन के 25 प्रतिशत प्रावधान के अनुसार सरकार को क्रमशः 138.92 लाख और 62.94 लाख क्विंटल की खरीद करनी चाहिए, जबकि सरकार ने लक्ष्य क्रमशः 132.23 लाख और 54.62 लाख क्विंटल ही रखा है। उन्होंने कहा कि इसके चलते सरसों के 16,724 और चने के 20,803 किसान अपनी फसल एमएसपी पर बेचने से वंचित रह जाएंगे।
जाट ने राज्य सरकार को एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए चार विकल्प सुझाए। पहला, ‘राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961’ के तहत मंडियों में एमएसपी से कम बोली रोकने के लिए एमएसपी पर ही बोली शुरू करना। दूसरा, 2004-05 की तरह मंडियों में एमएसपी से कम भाव रहने तक सहकारी खरीद केंद्रों पर खरीद जारी रखने की घोषणा करना। तीसरा, मुख्यमंत्री स्तर पर ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (पीएम-आशा) में संशोधन करवाकर 25 प्रतिशत से अधिक खरीद की सीमा हटवाना, जिसका उदाहरण उड़द, अरहर और मसूर के मामले में पहले भी किया जा चुका है। चौथा विकल्प, राज्य सरकार अपने कोष से 25 प्रतिशत के अतिरिक्त 15 प्रतिशत खरीद कर सकती है। जाट ने कहा कि राज्य सरकार का नारा ‘किसानों के हित में सदैव तत्पर राज्य सरकार’ को वास्तविकता में बदलने के लिए उसे इच्छाशक्ति दिखानी होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार किसानों के हित में उचित कदम उठाएगी।
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