जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं. कुछ का कहना है कि गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव (congress president election) नहीं लड़ा, फिर तो सीएम बने रह सकते हैं, तो वहीं कुछ का कहना है कि हकीकत कुछ और है. राजस्थान में हुई बगावत से पहले तक अशोक गहलोत गांधी परिवार (Gandhi family) के वफादारों और भरोसेमंद की लिस्ट में सबसे ऊपर थे। अब घटनाक्रम बदल चुका है और कांग्रेस आलाकमान (Congress high command) के फैसले का इंतजार हो रहा है। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर खड़गे का नाम तय होने और सोनिया गांधी से गहलोत की मुलाकात के बाद संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने साफ कहा था कि पार्टी अगले दो दिन में राजस्थान के सीएम का फैसला कर लेगी, वो समय तो बीत चुका है।
अभी तक ये आम धारणा थी कि अशोक गहलोत को सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ावना चाहती थीं और इसलिए राजस्थान के सीएम पद से इस्तीफा मांगा जा रहा था। कांग्रेस से जुड़े शीर्ष सूत्रों के मुताबिक अशोक गहलोत को हटाने की स्क्रिप्ट अगस्त में ही लिखी जा चुकी थी। अगस्त में ये आम राय बन चुकी थी कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में 2023 में कांग्रेस सरकार रिपीट होना नामुमकिन सा है। कांग्रेस अलाकमान ने फीड बैक और सर्वे से ये आकलन कराया था। ये धारणा तब और पुष्ट हुई जब राजस्थान में करौली, जोधपुर समेत कुछ जगह पर दंगे सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं बढ़ीं और गहलोत सरकार तुष्टीकरण के आरोपों से भी घिर गई थी।
‘जो गांरटी दे रहा हो उसे सीएम बना दें’
वहीं, सचिन पायलट, हाईकमान के सामने गहलोत के सरकार रिपीट नहीं करवा पाने के पुराने ट्रैक रिकार्ड और मौजूदा हालात की रिपोर्ट के आधार पर लगातार दावा कर ही रहे थे कि राजस्थान में गहलोत की अगुवाई में फिर से कांग्रेस की सरकार मुमकिन नहीं है। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दो दिन पहले कहा था कि अगस्त में ही वे पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को कह चुके थे कि राजस्थान में सरकार रिपीट करवाने की जो गांरटी दे रहा हो उसे सीएम बना दें। यानी गहलोत जानते थे कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार के हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पायलट को कमान सौंप दें तब भी सरकार की वापसी आसान नहीं है।
सचिन पायलट राजस्थान में अब भी काफी लोकप्रिय
सूत्रों का दावा है कि पार्टी हाईकमान ने 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के आंकड़े भी खंगाले. उन आंकड़ों में साफ था कि सचिन पायलट के प्रभाव वाले पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस ने इकतरफा जीत दर्ज की थी जबकि अशोक गहलोत के प्रभाव वाले पश्चिमी राजस्थान में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था. पार्टी के एक स्टडी ग्रुप की राय में कहा गया था कि सचिन पायलट राजस्थान में अभी भी काफी लोकप्रिय हैं। अगर गहलोत की जगह पायलट को कमान सौंपी जाए तो पार्टी को न सिर्फ 2023 के विधानसभा चुनाव में 2024 के लोकसभा चुनाव में भी फायदा मिल सकता है।
सचिन पायलट ने परिवार और पार्टी का भरोसा जीतने में कामयाबी हासिल की
दूसरा आकलन ये रहा कि पायलट को कमान सौंपने से राजस्थान के अलावा हरियाणा, यूपी, एमपी और कश्मीर में भी गुर्जर वोट बैंक और पायलट की युवाओं में लोकप्रियता का फायदा मिल सकता है. सचिन पायलट के पैरोकार लगातार लोकप्रियता और चुनाव जिताने की क्षमता के आधार सीएम के फैसले की मांग कर रहे थे. इस बीच गांधी परिवार में ये भी ये धारणा थी कि गहलोत के पास संगठन का लंबा अनुभव है. गांधी परिवार के विश्वासपात्र रहे. ऐसे में गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपने में बुराई नहीं. एक वजह और रही कि 2022 की बगावत के बाद सचिन पायलट ने गांधी परिवार और पार्टी हाईकमान का भरोसा जीतने में कामयाबी हासिल की. न सिर्फ पायलट ने इन दो साल में कई राज्यों में पार्टी का प्रचार किया. राजस्थान में भी गहलोत की मुखालफत करने से बचे।
… तय हो गया था कि अशोक गहलोत को सीएम को पद छोड़ना होगा
इस बीच राजस्थान में भी 2020 से हालात बदल रहे थे। सूत्रों का दावा है कि पूर्वी राजस्थान के इलाके के गहलोत गुट के काफी विधायक 2023 के चुनाव में सचिन पायलट को ही चुनाव जिताने वाला नेता मान रहे थे. अलग-अलग फीड बैक के बाद पार्टी ने अगस्त में तय कर लिया था कि राजस्थान के लिए पायलट और केंद्र के लिए गहलोत ठीक हैं. इसलिए बदलने का मानस बना लिया था. खुद गहलोत को भी ये आभास था. इसलिए जब गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था तब ही तय हो गया था कि अशोक गहलोत को सीएम को पद छोड़ना होगा।
… तो शायद कुर्सी छोड़ने के लिए गहलोत और उनका कैंप तैयार भी हो जाता, लेकिन खुद गहलोत अपनी जगह सचिन पायलट को सीएम नहीं देखना चाहते थे. गहलोत की टीम तो इससे भी दो कदम आगे थी. उनको ये आभास था कि अगर सचिन पायलट मुख्यमंत्री बने तो उनका पत्ता साफ हो जाएगा. 1998 से राजस्थान में अशोक गहलोत का कांग्रेस में एकछत्र राज रहा है. पहली बार ये सच स्वीकार करने को न गहलोत तैयार है न ही उनके समर्थक विधायक और नेता कि अब उनकी जगह राजस्थान में सचिन पायलट लेने जा रहे हैं। अगर हाईकमान अशोक गहलोत की जगह सचिन पायलट के अलावा किसी और को मुख्यमंत्री बनाने पर विचार करता तो शायद कुर्सी छोड़ने के लिए गहलोत और उनका कैंप तैयार भी हो जाता. लेकिन पायलट के अलावा किसी और को सीएम बनाने में गांधी परिवार की दिलचस्पी नहीं थी।
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