नई दिल्ली । राजस्थान (Rajasthan) में पायलट (Sachin Pilot) बनाम गहलोत (Ashok Gehlot) के बीच मचे सियासी घमासान के बाद कांग्रेस ने सचिन पायलट को फाइनल ऑफर दे दिया है. सूत्रों के मुताबिक नाराज पायलट को मनाने के लिए पार्टी ने उनके समर्थकों को राजस्थान कैबिनेट (Rajasthan Cabinet) में 3 मंत्रिपद के साथ उन्हें महासचिव और राज्य का प्रभारी बनाने का ऑफर दिया है. अब गेंद सचिन के पाले में हैं. पिछले 6 दिनों से दिल्ली में डेरा डाले पायलट कांग्रेस (Congress) आलाकमान से मिले बिना राजस्थान वापस लौट गए. सूत्रों के मुताबिक पायलट समर्थक 3 विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह और निगम/ बोर्ड में उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा. निगम और बोर्ड में कोई संख्या तय नहीं की जा सकती. सचिन 5 से 6 मंत्री पद चाहते हैं.
पार्टी और अशोक गहलोत का तर्क है कि 9 मंत्रिपद खाली हैं. इसमें बीएसपी के 6 विधायकों और निर्दलीय लगभग एक दर्जन विधायकों में से भी कुछ को मंत्री बनाना है. पार्टी सचिन को महासचिव बनाकर किसी महत्वपूर्ण राज्य का प्रभारी बनाने को तैयार है. पार्टी ने साफ कर दिया है कि अगर सचिन मान जाएं तो मंत्रिमंडल विस्तार जल्दी कर दिया जाएगा. आलाकमान ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल राजस्थान में अशोक गहलोत ही पार्टी के नंबर 1 नेता हैं. सचिन पार्टी के भविष्य है, लेकिन उनको गहलोत के साथ समन्वय से आगे बढ़ना होगा.
बैलेंस बनाकर चलना चाहती है पार्टी
माना जा रहा है कि पार्टी सचिन को खोना नहीं चाहती और गहलोत को नाराज भी नहीं करना चाहती, इसीलिए बैलेंस बनाने में वक़्त लग रहा है. पिछले साल के मुकाबले सचिन की ताकत कम हुई है इसलिए उनका दबाव भी पार्टी पर कम हुआ है. दरअसल, सचिन राज्य में निगम और बोर्ड के खाली लगभग 40 पदों में से आधे या कम से कम 15 चाहते हैं, जिसपर न तो अशोक गहलोत तैयार हैं और न ही पार्टी. पार्टी सूत्र कहते हैं कि उनके कुछ समर्थकों को समायोजित जरूर किया जा सकता है, लेकिन कोई संख्या निर्धारित नहीं की जाएगी.
ज़ाहिर है सचिन की तरफ से जब तक इस ऑफर का जवाब नहीं मिलता उनसे आलाकमान की मुलाकात की संभावना बेहद कम है. सूत्रों का कहना है कि उनके समर्थकों विधायकों की संख्या भी अब कम हो गई है जिसकी वजह से गहलोत और आलाकमान दोनों सचिन के दबाव में नहीं आ रहे हैं. फैसला अब सचिन को करना है.
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