जयपुर । राजस्थान के मुख्यमंत्री (Rajasthan Chief Minister) भजन लाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma) अपनी पहली अग्निपरीक्षा में (In His First Litmus Test) फेल हो गए (Failed) । उनके स्वतंत्र प्रभार वाले कृषि विपणन राज्यमंत्री सुरेंद्र पाल टीटी श्रीगंगानगर के करणपुर से विधानसभा का चुनाव 12570 वोटों से हार गए । वह भी तब जबकि भाजपा को राजस्थान में सरकार बनाए अभी एक महीना भी नहीं हुआ है।
टीटी को जिताना प्रतिष्ठा का सवाल इसलिए रहा, क्योंकि पहली बार भाजपा ने किसी प्रत्याशी को चुनाव जीतने से पहले मंत्री बनाया था, ताकि उनकी जीत सुनिश्चित की जा सके। राज्यमंत्री सुरेंद्र पाल टीटी को जिताने के लिए न केवल मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने खुद वहां जाकर जनसभाएं की, बल्कि पानी की समस्या से लेकर तमाम समस्याओं के समाधान के आश्वासन भी दिए। उनके साथ ही प्रदेशाध्य्क्ष डॉ. सी. पी. जोशी भी जनसभाएं करके आए। पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र राठौड़ लगातार टीटी का चुनाव संभाल रहे थे, बल्कि यूं कहें कि टीटी को चुनाव जिताने का जिम्मा उन पर ही था।
पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया भी करणपुर में पूरी जान-जान से जुटे हुए थे। दावा किया जा रहा है कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कैंप माने जाने वाले सार्दुलशहर से विधायक गुरवीर सिंह और उनके समर्थक टीटी को हराने में लगे हुए थे। इसके पीछे मंशा यह थी कि अगर टीटी चुनाव हारते हैं तो पंजाबी समाज से होने के कारण गुरवीर सिंह का मंत्रिमंडल में नंबर आ सकता है। इस संबंध में वहां एक ऑडियो भी वायरल हुआ बताया। सुरेंद्र पाल सिंह टीटी की हार का दूसरा कारण बिना चुनाव जीते उन्हें मंत्री बनाना भी माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि टीटी को अगर मंत्री नहीं बनाया जाता तो शायद वे चुनाव जीत जाते और भाजपा की इतनी बड़ी किरकिरी नहीं होती।
इधर, कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक गुरमीत कुन्नर का चुनाव के दौरान आकस्मिक निधन हो जाने के कारण रणनीतिक रूप से उनके पुत्र रुपिंदर सिंह उर्फ रूबी कुन्नर को प्रत्याशी बनाया । कांग्रेस को उम्मीद थी कि रूबी कुन्नर को सहानुभूति का फायदा मिल सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यूं तो रुपिंदर सिंह कुन्नर को जिताने में प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा समेत कई कांग्रेसियों ने कड़ी मेहनत की है, लेकिन इस जीत का श्रेय पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को दिया जाना चाहिए, क्योंकि पायलट की जनसभा से ही आभास हो गया था कि रुपिंदर सिंह चुनाव जीत रहे हैं। अब तो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत तमाम कांग्रेसी नेताओं ने कुन्नर को जीत की बधाई दे दी है।
अब सवाल यह है कि क्या नैतिकता के नाते कृषि विपणन राज्यमंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगे या 6 महीने तक सत्ता सुख भोगेंगे। क्योंकि संवैधानिक रूप से बिना चुनाव जीते किसी को भी मंत्रिमंडल में 6 महीने से ज्यादा समय नहीं रखा जा सकता है। हो सकता है लोकसभा चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा खुद ही उनसे इस्तीफा मांग लें।
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