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राजस्थान विधानसभा: वसुंधरा-गहलोत की निगाहें बागियों पर, रिवाज बनाम राज की काफी चर्चा

December 03, 2023

नई दिल्‍ली (New Dehli)। राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly)की अगली तस्वीर आज सुबह 8 बजे के बाद सबके सामने (Front)होगी। खास बात यह है कि चुनावी नतीजों (election results)में चेहरे, मुद्दे और रिवायत कसौटी (criterion)पर होगी। इस दफा रिवाज बनाम राज की काफी चर्चा है। बता दें राजस्थान के एग्जिट पोल को लेकर अलग-अलग राय रही है। ऐसे में निर्दलीय और बागियों की अहमियत बढ़ गई है। सीएम अशोक गहलोत ने शनिवार देर रात कांग्रेस के प्रत्याशियों से संवाद किया है। जमीनी फीडबैक लिया है। इस चुनाव में इस बार बड़ी संख्या में वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत के समर्थकों के टिकट भी कटे हैं। इनसे वसुंधरा राजे के 11 और अशोक गहलोत के करीब 7 समर्थकों को टिकट नहीं दिए है। इनमें से अधिकांश चुनाव मैदान में है। कई प्रत्याशी तो कांग्रेस-भाजपा से अधिक मजबूक दिखाई दे रहे हैं।


बाड़ेबंदी का भी प्लान बनाया

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस और बीजेपी दोनों में नतीजों को लेकर अलग-अलग लेवल पर तैयारियां कर ली गई हैं। हंग असेंबली के हालात बनने पर दोनों पार्टियों ने बाड़ेबंदी का भी प्लान बनाया है। दोनों ही पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हेलिकॉप्टर और प्लेन बुक करवा लिए गए हैं। जबकि चुनाव परिणाम से पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की सक्रियता से बीजेपी में सियासी पारा चढ़ गया है। सियासी जानकारों का कहना है कि 57 में से 53 सीटें ऐसी है जहां पर बीजेपी प्रत्याशी हैट्रिक बनाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी में बगावत भी इन्हीं सीटों पर सबसे ज्यादा है। लंबे समय से टिकट की बाट जोह रहे युवा नेताओं ने ताल ठोक दी है। ऐसे में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले वसुंधरा राजे समर्थकों की संख्या है। पूर्व की सीएम की दमदार पैरवी के बावजूद भी इन नेताओं को टिकट नहीं मिले है।

कांग्रेस-बीजेपी में बागियों की लंबी लिस्ट

सियासी जानकारों का कहना है कि राजनीति की धारा के मुताबिक इस बार भी प्रमुख राजनीतिक दलों से नाता तोड़कर दूसरे पाले में बैठकर चुनाव लड़ने वाले नेताओं की फेहरिस्त लंबी है। कांग्रेस से नाराजगी वाले नेताओं की लिस्ट बीजेपी के मुकाबले में बड़ी है। सत्ताधारी पार्टी से मुंह मोड़कर विपक्ष का दामन थामने वाले नेताओं में सबसे चर्चित नाम खंडेला से सुभाष मील का रहा हैष इसके अलावा नागौर से ज्योति मिर्धा, करौली से दर्शन सिंह गुर्जर, बाड़ी से गिर्राज सिंह मलिंगा और सादुलपुर से सुमित्रा पूनिया के नाम प्रमुख हैं। सीपी जोशी की टीम को छोड़कर जाने वाले नेताओं में हेमाराम चौधरी की सीट गुढ़ामलानी से चुनाव लड़ने वाले कर्नल सोनाराम, किशनगढ़ से विकास चौधरी और धौलपुर से शोभारानी कुशवाह के नाम शामिल हैं। कांग्रेस से झोटवाड़ा के प्रत्याशी अभिषेकचौधरी, नसीराबाद से प्रत्याशी शिव प्रकाश गुर्जर, संगरिया से अभिमन्यु पूनिया और चौमूं से शिखा मील बराला के परिणाम का इंतजार रहेगा. इसी तरह से निर्दलीय प्रत्याशी रविन्द्र भाटी शिव से और छबड़ा से नरेश मीणा मैदान में हैं. इन सब युवा चेहरों का प्रदेशवासी भी बेसब्री से इंतजार करेंगे।

57 सीटों के नतीजें ही करेंगे खेल

राजस्थान में परिसीमन के बाद 200 में से 57 सीटों के नतीजें ही सरकार को बनाने और बिगाड़ने में अपनी भूमिका अदा करते हैं। इन साढ़े 28 फीसदी विधानसभाओं में इस बार 2.5 दशक के नतीजों से उलट तस्वीर की कल्पना की जा रही है। राज्य की करीब 30 प्रतिशत सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी की मजबूती नजर आती है। कांग्रेस करीब साढ़े 10 फीसदी सीटों पर ही अपना वर्चस्व कायम रख पाई है। बची हुई 60 फीसदी सीटों में से आधी ऐसी हैं, जो हर बार अपने हुक्मरानों की तस्वीर को बदल देती है और इन्ही सीटों के जरिए सत्ता का रास्ता यह राजनीतिक दल तय करते हैं।इस बार के विधानसभा चुनाव में शाहपुरा से भाजपा प्रत्याशी उपेन यादव, बाड़मेर से दीपक कड़वासरा, कोलायत से अंशुमान भाटी के नतीजों पर निगाह रहेगी।

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