नई दिल्ली। गुजरात (Gujarat) में भाजपा (BJP) भले ही अपना 27 साल पुराना राज बचाने में कामयाब (Successful saving 27 year old Raj) रही हो और हिमाचल (Himachal) में कांग्रेस (Congress ) ने कड़ी टक्कर (fought hard) देते हुए भाजपा को रिवाज बदलने से रोक दिया हो लेकिन इन चुनावों के संकेत यही तक सीमित नहीं है। इन चुनावों के नतीजों में हर दल के लिए संदेश हैं जो उनकी भावी राजनीति पर असर डालेंगे।
गुजरात में भाजपा की ऐतिहासिक जीत का साफ संकेत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का जादू बरकरार है जिसने 27 साल के लंबे शासन में उत्पन्न सत्ता विरोधी लहर को हावी नहीं होने दिया। वहीं, यहां कांग्रेस का खराब प्रदर्शन स्पष्ट बताता है कि भाजपा की चुनावी रणनीति के सामने उसकी तैयारी कतई भी नहीं थी। कांग्रेस में नेतृत्व, चेहरों, चुनावी रणनीति और संसाधनों की कमी साफ दिखी। भविष्य में उसे यदि चुनाव जीतना है तो इन कमियों को दूर करना होगा।
गुजरात में आम आदमी पार्टी की एंट्री इन चुनावों की एक नई घटना है। पार्टी ने राज्य में जोरदार चुनावी अभियान शुरू किया और अच्छा खासा 13 फीसदी मत प्रतिशत भी हासिल किया। लेकिन मतों के सीट में बदलने की दर कम रही है। दूसरे नंबर की लड़ाई में वह सफल नहीं रही। कारण साफ है कि जिन मुद्दों मुफ्त बिजली-पानी जैसे जिन मुद्दों को उसने दिल्ली में चलाया वह गुजरात में नहीं चले। गुजरात में आगे चुनाव लड़ने के लिए आप को नई रणनीति बनानी होगी।
यह अटकलें लगाई जा रही थी कि जिस प्रकार साल के शुरू में हुए चुनावों में उत्तराखंड में हर पांच साल में सरकार बदलने का रिवाज टूटा वैसा ही कुछ हिप्र में भी हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और कांग्रेस चुनाव जीतने में सफल रही। सवाल यह है कि गुजरात में 27 साल सरकार चलाने के बावजूद भाजपा ने शानदार जीत हासिल की जबकि हिप्र में पांच साल में ही सत्ता विरोध लहर काम कर गई। मोदी का जादू जब गुजरात चल सकता है तो फिर हिमाचल में क्यों नहीं। नतीजों का संदेश साफ है कि प्रधानमंत्री का जादू तो हर जगह चलता है लेकिन इसको सफल बनाने के लिए राज्यों के नेताओं की टीम में भी एकजुटता होनी चाहिए। जो गुजरात में थी लेकिन हिमाचल में नहीं दिखी जिसका नतीजा सामने है। यानी भाजपा को निचले संगठन को कसना होगा।
कांग्रेस ने 2018 के बाद किसी राज्य का चुनाव जीता है। हिमाचल की जीत उसके लिए उम्मीद जगाने वाली होगी। एक के बाद एक चुनाव में हार से जूझ रही कांग्रेस के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को भारी राहत मिली है। हिमाचल में कांग्रेस ने जनता से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। पूर्व मुख्यमंत्री स्वी वीरभद्र के चेहरे का भी पार्टी को लाभ मिला। कुल मिलाकर यह नतीजे कांग्रेस के लिए संकेत हैं कि भाजपा अजेय नहीं है। यदि कांग्रेस हार रही है तो अपनी चुनावी रणनीति में चूकों की वजह से हार रही है।
इसी प्रकार एक दिन पूर्व आए निगम चुनाव के नतीजों के संकेत भी कम महत्वपूर्ण नहीं हैं। भाजपा हार गई लेकिन उसने आप को शानदार जीत से रोक लिया। कांग्रेस का प्रदर्शन खराब हुआ लेकिन मुस्लिम मतदाता उसकी तरफ वापस होते दिख रहे हैं। आप को मुस्लिम मतों का नुकसान हुआ था भ्रष्टाचार को लेकर उस पर लगे आरोपों का असर जनता में दिखा।
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