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    शादी समारोह में मिले राज और उद्धव ठाकरे, एक साथ लड़ सकते हैं BMC चुनाव

  • December 17, 2024

    मुंबई। महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में बड़ी हलचल के आसार हैं। हाल ही में एक पारिवारिक कार्यक्रम में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) की एंट्री ने परिवार में सुलह के संकेत दिए हैं। इस कार्यक्रम में शिवसेना यूबीटी चीफ उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) भी पहुंचे थे। हालांकि, इसे लेकर दोनों ही नेताओं ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है।

    दरअसल, रविवार को उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे के भांजे शौनक पातंकर की शादी में राज पहुंचे थे। इसके साथ ही अटकलें शुरू हो गईं कि दोनों भाई सियासी मैदान में हाथ मिला सकते हैं। बांद्रा पश्चिम के ताज लैंड्स एन्ड में हुए कार्यक्रम में कई बड़े राजनेता पहुंचे थे। चर्चाएं हैं कि राज और उद्धव मतभेद भुलाकर आगामी निकाय चुनाव के लिए साथ आ सकते हैं।

    एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों ही दलों के कार्यकर्ता सुलह की बात पर जोर दे रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि दोनों नेताओं का साथ आना मराठी मतों को एकजुट कर सकता है। अखबार से बातचीत में सूत्रों ने बताया कि राज के शादी समारोह में पहुंचने को उद्धव की तरफ से शांति प्रस्ताव को स्वीकार करने के तौर पर देखा जा रहा है।



    नहीं हुई मुलाकात
    शौनक के पिता श्रीधर पातंकर ने कहा कि राज ठाकरे को न्योता दिया गया था और वह उनके बेटे को आशीर्वाद देने पहुंचे थे। उन्होंने कहा, ‘राज साहेब के आने की बात पर अटकलें लगाने की जरूरत नहीं है। वह परिवारिक संबंधों के चलते पहुंचे थे।’ उन्होंने यह भी जानकारी दी कि अलग-अलग समय पर आने के चलते दोनों नेताओं की मुलाकात नहीं हुई थी। उन्होंने कहा, ‘हमारे कुछ रिश्तेदार उन दोनों से मिले थे।’

    क्या बने हुए हैं मतभेद
    रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि राज समारोह के दौरान रश्मि और उनकी मां से मिले थे। हालांकि, उनकी मीटिंग आदित्य ठाकरे से नहीं हो सकी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिवसेना यूबीटी और मनसे के बीच जारी सियासी तनातनी मराठी वोट बंटने का कारण बन रही है। राज और उद्धव आंतरिक कलह के चलते साल 2006 में अलग हो गए। राज ने मनसे का गठन किया। वहीं, उद्धव को अविभाजित शिवसेना की कमान मिली थी।

    अखबार से बातचीत में मनसे सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि राज और उद्धव के बीच दूरी बनी हुई है। साल 2019 में मनसे ने वर्ली सीट पर आदित्य ठाकरे के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था। कहा जा रहा है कि ठाकरे परिवार के सदस्य के चुनावी डेब्यू के सम्मान में राज ने यह फैसला लिया था। हालांकि, जब राज के बेटे अमित माहिम से चुनाव लड़ रहे थे, तब उद्धव की पार्टी ने महेश सावंत को उनके खिलाफ खड़ा किया था।

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