सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का सुपर काम… 50 मरीजों का हो सकेगा इलाज…
कलेक्टर ने की पहल, सीएसआर के तहत कम्पनियों को किया प्रोत्साहित, रेडक्रास में खोला बोनमेरो खाता
इन्दौर। चाचा नेहरू अस्पताल और एम.वाय. अस्पताल (Chacha Nehru Hospital and M.Y. hospital) में बोनमेरो के लिए आ रहे मरीजों को बेहतर व्यवस्था देने के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) में 10 बेड का यूनिट तैयार कर लिया गया है। अच्छी बात यह है कि मरीजों के इलाज के लिए कलेक्टर की पहल पर दो दिन में दो करोड़ का फंड जमा हो गया। अब बोनमेरो ट्रांसप्लांट (bonemarrow transplant) जैसी गंभीर बीमारी से लड़ऩे के लिए आर्थिक कमजोरी का मुंह मरीजों को नहीं देखना पड़ेगा। 10 बेड के सुपर स्पेशलिटी यूनिट के साथ-साथ अब कलेक्टर इलैया राजा टी ने पहल करते हुए आर्थिक मदद के लिए सीएसआर फंड के माध्यम से रेडक्रास के खाते में दो करोड़ रुपए का फंड इकट्ठा कर लिया है। दो दिन पूर्व आयोजित बैठक में विभिन्न कम्पनियों के कर्ताधर्ताओं सहित औद्योगिक कम्पनियां भी शामिल हुई थी, जिन्होंने कलेक्टर के आह्वान पर दो करोड़ की राशि दो दिन में जमा करवा दिए हैं। रेडक्रास के माध्यम से प्रतिदिन आर्थिक तौर से कमजोर वर्ग का इलाज और आर्थिक मदद कर रहे कलेक्टर के अनुसार उन्होंने बोनमेरो ट्रांसप्लांट (bonemarrow transplant) के नाम से रेडक्रास में अलग बैंक खाता खुलवाया है, जिसमें मरीजों को इलाज के लिए आर्थिक सहायता के लिए फंड की कमी न हो, जिसके लिए बड़ी-बड़ी कम्पनियों से सम्पर्क किया जा रहा है।
8 से 10 लाख आता है खर्च
एक बोनमेरो ट्रांसप्लाट प्रक्रिया करने में लगभग 8 से 10 लाख रुपए का खर्च आता है। जिसमें दो लाख रुपए सेंट्रल गवर्नमेंट व दो लाख रुपए म.प्र. शासन द्वारा मुहैया कराए जाते हैं, वहीं आयुष्मान द्वारा डेढ़ लाख रुपए तक की राशि क्लैम हो रही है, लेकिन एक मरीज को अस्पताल में इलाज के दौरान बचे हुए चार लाख रुपए फंड की कमी न हो, इसके लिए यह खाता खोला गया है। इंदौर जिले के उद्योगपतियों, कम्पनी मालिकों ने बढ़ चढक़र हिस्सा लिया है और हर साल इस खाते में फंड जमा करने का वादा भी किया है।
पांच से दस, दस से पचास
ज्ञात हो कि अब तक एमवाय और चाचा नेहरू में जुटाई गई व्यवस्थाओं के माध्यम से पांच मरीजों का ही बोनमेरो ट्रांसप्लांट और इलाज किया जाना संभव था, लेकिन सुपर स्पेशलिटी में खोली गई यूनिट में 10 मरीजों के लिए व्यवस्थाए की गई है। कलेक्टर इलैयाराजा ने बताया कि एक मरीज को इलाज के दौरान दो से ढाई महीने भर्ती रहना पड़ता है। जिस हिसाब से एक साल में हम पचास मरीजों को उचित इलाज दे सकेंगे। आगे भी इस योजना के लिए भी और बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं।
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