गत वर्ष के अभियान का मिला जबरदस्त फायदा
शहर के अधिकांश क्षेत्रों में बढ़ गया भू-जल का स्तर भी
इंदौर। गत वर्ष तत्कालीन निगमायुक्त प्रतिभा पाल (The then corporator Pratibha Pal) ने रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए जोरदार अभियान चलवाया था, जिसके चलते लगभग एक लाख से अधिक घरों, संस्थानों ने ये सिस्टम अपनाया और उसका फायदा यह मिला कि शहर के अधिकांश क्षेत्रों में भू-जल स्तर बढ़ भी गया। अब बचे घरों-संस्थानों में 15 जून तक रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम (Rain Water Harvesting System) लगाने पर जोर दिया जा रहा है, जिसके लिए आयुक्त श्रीमती हर्षिका सिंह (Commissioner Mrs. Harshika Singh) ने कार्यशाला भी आयोजित की और जैन इंजीनियरिंग सोसायटी से सहयोग की अपील भी की।
शहरभर में चूंकि नर्मदा का पानी आधी से अधिक आबादी को नहीं मिलता। मजबूरन अधिकांश घरों के निर्माण से पहले ही बोरिंग करवाना पड़ते हैं। शहर का भू-जल स्तर भी विगत वर्षों में तेजी से गिरा और कई क्षेत्रों में तो हजार-डेढ़ हजार फीट तक बोरिंग करवाने के बाद भी पानी नहीं मिलता है। मगर गत वर्ष जिन घरों-संस्थानों ने रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अपनाया, उनमें से अधिकांश के बोरिंग अभी गर्मी में भी चल रहे हैं और आसपास के भू-जल स्तर में भी बढ़ोतरी हुई। कार्यशाला में आयुक्त हर्षिता सिंह ने कहा कि इंदौर स्वच्छता में जिस प्रकार से शहर वासियों के सहयोग से नंबर वन स्वच्छ शहर है, उसी प्रकार आप सभी के सहयोग से इंदौर से भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए आपका सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि भू जल संरक्षण अभियान के तहत विगत वर्ष इंदौर में 1 लाख से अधिक घरों एवं संस्थानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया था, इसी प्रकार से इस बार भी 15 जून के पहले हमारा लक्ष्य की इंदौर में अधिक से अधिक घरों एवं संस्थानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जा सके, इसके लिए आप सभी इंजीनियर का अनुभव एवं सहयोग अपेक्षित है। आयुक्त ने कहा कि जैन इंजीनियर सोसाइटी इंदौर द्वारा यह भू जल संरक्षण के लिए आयोजित कार्यशाला सराहनीय है। आप सभी इंजीनियर के अनुभव एवं सहयोग से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने में तकनीकी सुविधा मिलेगी ऐसी हम आशा करते हैं।
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