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    धनतेरस पर हुई खुशियों की बरसात, बाजार में बरसा धन

  • November 02, 2021

    उज्जैन। धनतेरस (Dhanteras) पर बाजार में धन बरसा (money rained in the market)। बर्तन और सराफा बाजार में रौनक दिखाई दी। कोरोनाकाल के दो वर्ष जहां आर्थिक तंगी आम आदमी ने देखी वहीं व्यापारियों का उत्साह भी ठप रहा। मंगलवार को बाजार में सबकुछ मंगल दिखाई दिया, हालांकि लोगों ने छोटी रास के चांदी के गहने,सिक्के और बर्तन की खरीदी पर जोर दिया।

    मंगलवार सुबह से ही बाजार में चहल पहल रही। सराफा व्यवसायी अमित कटियार एवं अल्पेश जैन के अनुसार रतलाम और राजकोट से चांदी के सिक्के आए हैं। भाव में थोड़ा उतार चढाव है। उन्होंने बताया कि बाजार में गत दो वर्ष पूर्व की अपेक्षा 40 प्रतिशत तक तेजी है। इसका सीधा लाभ व्यापार में मिल रहा है। इसीतरह रह तो अगली दीपावली बहुत ही अच्छी मनेगी।

    चांदी के सिक्के का भाव प्रति नग

    2.5 ग्राम वजन 180 से 250 रू. तक

    5 ग्राम वजन 360 से 390 रू. तक

    10 ग्राम वजन 700 से 730 रू. तक

    क्टिोरिया सिक्का 850 से 950 रू. तक

    गिफ्ट आर्टिकल्स 400 से 10 हजार रू. तक

    बर्तन व्यवसायी पारस आच्छा ने बताया कि बाजार में इस बार तेजी आई है। लोग छोटी रास के बर्तन खरीद रहे हैं। आगामी समय शादियों का होगा। बाजार में उठाव तो आया है, लेकिन नया आयटम कुछ नहीं आया। उन्होंने बताया कि इस बार यह बात देखने में आई है कि लोग पुराने बर्तन बेचकर नए बर्तन के भाव में एडजस्ट करवा रहे हैं। भंगार के भावों में अभी तेजी नहीं आई है। धातुओं के भाव में जरूर तेजी है।

    बर्तन बाजार में धातुओं के भाव

    पीतल 600 से 900 रू.

    तांबा 900 से 1200 रू.

    एलुमिनियम 250 से 400 रू.

    स्टील 250 से 500 रू.

    भंगार के भाव प्रति किग्रा

    पीतल 450 रू.

    तांबा 650 रू.

    एलुमिनियम 200 रू.

    स्टील 70 रू.

    बहीखातों को लेकर बाजार में रस्मी उठाव रहा। कम्प्यूटर पर ही बहीखाता का चलन होने के कारण बहीखाता बनानेवालों की संख्या भी कम हो गई है। एक समय शहर में बहीखाते बनकर बाहर भेजे जाते थे। अब बाहर से माल मंगवाकर बेचा जाता है,क्योंकि यह बनवाई से सस्ता पड़ता है। व्यापारी जिम्मी आहूजा,अकबर अली कागदी,इमरान कागदी के अनुसार इस बार बाजार में 12 से 300 पेज तक के बहीखाता आए हैं। जो रस्म निभाते हैं,वे 12 पेज का बहीखाता पूजा में रखते हैं। अभी भी ऐसे व्यापारी हैं,जिनका सारा हिसाब बहीखाते पर ही चलता है। साल के आखिरी में कम्प्यूटर पर खाता तैयार होता है। वे साल में दो बार आवश्यकता लगने पर खरीदते हैं। बहीखातों के भाव में कागज के भाव बढऩे के कारण 10 प्रतिशत तक उछाल है। डायरी की बिक्री में कमी आई है। इस बार बाजार में उठाव है। शहर में बहीखातों को बेचने की मुख्य दुकानें 8 है। धन तेरस के अलावा दीपावली पर भी बिक्री होगी।

     

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