गर्मी में भरना थे सडक़ों के गड्ढे, रहे उदासीन
इंदौर। ग्रामीण सडक़ों के मरम्मत की जवाबदारी पीडब्ल्यूडी विभाग (PWD Department) की रहती है। बारिश से पहले सडक़ों को गड्ढा मुक्त करने के निर्देश दिए गए थे। कई ग्रामीण सडक़ों की आवाजाही में गड्ढे बाधक बने हुए हैं। अब बारिश सिर पर है। विभागीय इंजीनियर सडक़ों के गड्ढे खोज रहे हैं।
देपालपुर, सांवेर, महू और इंदौर के ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्य मार्गों से जोडऩे वाली सडक़ों में मरम्मत का काम पीडब्ल्यूडी विभाग करता है। अप्रैल और मई के महीने में बारिश से पहले प्री मानसून मेंटेनेंस में तकरीबन 60 किलोमीटर की सडक़ें गड्ढामुक्त करने के निर्देश जारी किए गए। विभागीय इंजीनियरों में काम को चुस्त-दुरुस्त भी बता दिया था, लेकिन चीफ इंजीनियर बीके चौहान के पास ग्रामीणों ने शिकायत दर्ज कराई थी कि देपालपुर-पीथमपुर से जुड़े कई हिस्सों में ग्रामीण सडक़ों की हालत खराब है और बारिश में यहां से निकलना और मुश्किल हो जाएगा। इसके बाद चीफ इंजीनियर दोनों ही डिवीजन के कार्यपालन यंत्री को निर्देश दिए कि 30 जून तक सडक़ों को गड्ढामुक्त किया जाए। अब चुनाव का समय सामने है, ऐसे में इंजीनियर चुनावी ड्यूटी में व्यस्त हैं, वहीं विभाग के आला अधिकारी के निर्देश का पालन करते हुए ग्रामीण सडक़ों के गड्ढे भी खोजे जा रहे हैं।
यहां की सबसे ज्यादा खराब
ग्रामीणों की माने तो एक दर्जन से ज्यादा ऐसी सडक़े हैं, जहां मरम्मत की दरकार है। इनमें चंद्रावतीगंज, पोटलोद, माचल , मेटवाड़ा , टिही , हरसोरा के पहुंच मार्ग शामिल हैं।
ओवरलोड के कारण सडक़ें हो रहीं खराब
सडक़ों की मरम्मत तो समय पर की जा रही है, लेकिन वाहनों के ज्यादा गुजरने व ओवरलोड होने के कारण ग्रामीण सडक़ें खराब हो रही हैं, वहीं पानी निकासी और रोड के दोनों कार्नर भराव की आवश्यकता कुछ जगह पर है। जल्द ही मार्ग को दुरुस्त किया जाएगा
-एसएन सोनी, कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी
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