मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) में पिछले 4 दिनों से जारी बारिश के चलते हालात अनियंत्रित हो चले हैं। लगातार बारिश के कारण महाराष्ट्र के कई इलाके बाढ़ (Flood) और भूस्खलन (Landslide) का सामना (Face) कर रहे हैं। कहीं पानी सब कुछ बहा ले गया (Washed away everything) है तो कहीं सड़के धंसने से लोग जहां के तहां फंसे हुए हैं। बचाव कार्य भी युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। अब तक 200 से ज्य़ादा लोगों की मौत (More than 200 died) और करीब 100 लोगों के लापता होने की जानकारी सामने आई है।
एनडीआरएफ के डीजी एसएन प्रधान ने बताया कि अकेले महाराष्ट्र में भूस्खलन से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। बाढ़ और लगातार बारिश के बीच हमें अपना बचाव कार्य जारी रखना है। महाराष्ट्र में एनडीआरएफ की 34 टीमें काम कर रही हैं, कर्नाटक में 7 टीमें काम कर रही हैं और तेलंगाना में 8 टीमें काम कर रही हैं,वहीं कई मीडिया रिपोर्ट्स में मृतकों की संख्या इससे कहीं ज्यादा बताई जा रही है। खबर लिखे जाने तक 200 से ज्य़ादा लोगों की मौत और करीब 100 लोगों के लापता होने की जानकारी सामने आई है। हालांकि सरकार की तरफ से इस बाबत कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बाढ़ प्रभावित इलाके चिपलून का दौरा किया। यहां लोगों से मुलाकात तक उन्होंने आश्वस्त किया जिन लोगों ने इस त्रासदी का सामना किया है, वह अब सिर्फ अपना ध्यान रखें, नुकसान की जिम्मेदारी सरकार पर छोड़ दें। उन्होंने कहा कि सरकार कोशिश करेगी कि सभी का पुनर्वास हो सके और लोगों के नुकसान की भरपाई की जा सके। देवेंद्र फडणवीस भी बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे।
महाराष्ट्र में हालात बदतर होते जा रहे हैं। सांगली जिले का सांगलीवाड़ा इलाका बारिश रुक जाने के बाद भी पानी में डूबा हुआ नजर आ रहा है। सड़के समुंदर का रुप ले चुकी हैं। पानी का स्तर 10 से 15 फीट हो चुका है। लोगों के घर और दुकानें पानी में डूबे हुए हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, सरकार दावा कर रही है कि पानी का स्तर कम हो रहा है, लेकिन सच्चाई ये है कि वाराना नदी के उफान पर आने के कारण जलस्तर बढ़ता जा रहा है।
महाराष्ट्र के महाड़ में चारों तरफ तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। सड़कों से लेकर लोगों के घरों तक पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। लोग जीवन यापन की बुनियादी जरूरतों के लिए भटक रहे हैं। स्थानीय नागरिक बताते हैं कि 23 जुलाई की रात आई बाढ़ में सब कुछ बह गया। हमारे घर टूट गए, फर्नीचर से लेकर जरूरी दस्तावेज तक पानी की धार में बह गए। हम किसी तरह अपनी जिंदगी बचा रहे हैं।
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में भी तबाही का मंजर सड़कों पर नजर आ रहा है। बड़े-बड़े पेड़ और ट्रक बाढ़ के आगे बेबस साबित हुए हैं। गाड़ियां एक दूसरे पर खिलौनों की तरह चढ़ी हुई हैं। झुग्गी झोपड़ियों का तो नामों निशान गायब हो गया है। महाराष्ट्र के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर लोगो को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम जारी है।
महाराष्ट्र के सातारा जिले में रविवार को बारिश की तीव्रता कम हुई और अधिकारियों ने भूस्खलन की घटनाओं के बाद लापता हुए लोगों की तलाश में अभियान चलाया है। वहीं, पड़ोसी कोल्हापुर के जलमग्न होने के कारण मुंबई-बेंगलुरु राजमार्ग पर यातायात ठप है। अधिकारियों ने बताया कि पश्चिमी महाराष्ट्र के सातारा में बारिश से संबंधित घटनाओं में मृतकों की संख्या बढ़कर शनिवार को 28 हो गयी और कम से कम 14 लोग लापता हैं।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और जिला प्रशासन के अनुसार, ढोकावाले में तलाश अभियान शनिवार रात को पूरा हो गया। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, पिछले तीन दिनों में भारी बारिश के कारण जिले में 379 गांव प्रभावित हैं और 5,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। पड़ोसी कोल्हापुर में भी बारिश कम हुई है और राजाराम में पंचगंगा नदी में जल स्तर कम होकर 52 फुट तक आ गया है लेकिन यह अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
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