नई दिल्ली (New Delhi)। केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून(South-west monsoon) के किसी भी समय दस्तक देने की उम्मीद है। वहीं, भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department) ने अपनी ताजा भविष्यवाणी(Latest predictions) में कहा है कि समुद्र का तपमान ठंडा हो रहा है। इसके कारण जून के महीने में अल नीनों की स्थिति उभरने की संभावना है। जुलाई में इसके ला नीना में परिवर्तित होने के आसार बन रहे हैं। इसके कारण जुलाई से लेकर सिंतबर तक देश के कई हिस्सों में जमकर बारिश होने की संभावना है।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा, “मानसून की कम दबाव प्रणाली और अवसाद जैसे कई दूसरे कारक हैं जो मानसून वाली बारिश को प्रभावित करते हैं। इनमें से ला नीना प्रमुख है। ला नीना के कारण सामान्य से अधिक वर्षा की उम्मीद की जा सकती है। इस वर्ष ला नीना की स्थिति के कारण अगस्त और सितंबर के दौरान अधिक वर्षा हो सकती है।”
सामान्य से अधिक वर्षा होने की उम्मीद
आईएमडी के अनुसार, जून-सितंबर के बीच दक्षिण प्रायद्वीपीय और मध्य भारत में सामान्य से अधिक वर्षा होने की उम्मीद है। वहीं, उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य वर्षा होगी। पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में औसत से कम वर्षा होने की उम्मीद है। इससे पहले आईएमडी ने अप्रैल में कहा था कि पूर्व और पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर शेष सभी क्षेत्रों में सामान्य या उससे अधिक वर्षा होने की उम्मीद है।
आम तौर पर मजबूत मानसूनी हवा की संभावना
जलवायु विज्ञान की दृष्टि से ला नीना को भारतीय मानसून के लिए अनुकूल माना जाता है। पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा, “ला नीना आम तौर पर मजबूत मानसूनी हवा की संभावना के बारे में बताता है। मजबूत मानसून प्रवाह मानसून अवसादों के लिए नमी की आपूर्ति कर सकता है। इसके कारण अधिक बारिश हो सकती है।”
जिस साल ला नीना का असर देखने को मिलता है, उस साल चक्रवात की संभावना सामान्य से अधिक होती है। ला नीना के कारण बंगाल की खाड़ी और अरब सागर सहित उत्तरी हिंद महासागर में समुद्री गर्मी बढ़ जाती है।
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