इंदौर। इंदौर-भोपाल रूट की अहमियत न पश्चिम रेलवे समझने को तैयार है, न ही पश्चिम मध्य रेलवे। यही वजह है कि डबल डेकर बंद होने के बाद इस रूट पर नई इंटरसिटी चलाने का वादा भी अफसरों ने भुला दिया। इंदौर-भोपाल के बीच वंदे मेट्रो चलाने की पहल भी नहीं की जा रही है। इस मामले में दोनों शहरों के सांसदों की चुप्पी भी चुभने वाली है।
इंदौर-भोपाल रूट पर रोजाना 200 बसों की आवाजाही है। जानकार मानते हैं कि रेल अधिकारियों ने यह मानसिकता बना ली है कि इंदौर-भोपाल रूट पर लोग बसों से यात्रा को ही प्राथमिकता देते हैं, लेकिन इसके कारणों पर गौर नहीं किया जाता। सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस रेल मार्ग पर ज्यादातर ट्रेनें देवास-मक्सी के बजाय उज्जैन होकर चलती हैं, जिनमें समय और किराया, दोनों ज्यादा लगता है। यात्री इसलिए ट्रेनों को पसंद नहीं करते। देवास-उज्जैन होकर चलने वाली ट्रेनों में इंजन की दिशा बदलने में भी दिक्कत होती है। इसके विपरीत देवास-मक्सी रूट पर यह परेशानी नहीं होती।
वंदे मेट्रो सबसे बेहतर विकल्प
वर्तमान में महू-इंदौर-भोपाल (वाया देवास-मक्सी) इंटरसिटी और इंदौर-भोपाल (वाया उज्जैन) ओवरनाइट एक्सप्रेस ही ऐसी ट्रेनें हैं, जो समर्पित रूप से दोनों शहरों के बीच रोजाना चलती हैं। इंटरसिटी इस रूट की सबसे लोकप्रिय ट्रेन है। रेलवे मामलों के जानकार नागेश नामजोशी के अनुसार डबल डेकर के टाइम टेबल पर इंदौर-भोपाल के बीच वाया देवास-मक्सी वंदे मेट्रो चलाना सबसे बेहतर विकल्प होगा। वंदे मेट्रो 200-250 किमी के सफर के लिए प्लान की गई है, इसलिए इंदौर-भोपाल रूट इस पर फिट बैठता है।
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