नई दिल्ली। केंद्रीय बजट में रिकॉर्ड बजट आवंटन मिलने के बाद रेल मंत्रालय उत्साह में नज़र आ रहा है। रेलवे ने आगामी वित्तीय वर्ष में 3.14 लाख करोड़ डॉलर के नए रोलिंग स्टॉक (इंजन और डिब्बे हासिल करने की योजना बनाई है। यह रेलवे के वार्षिक रोलिंग स्टॉक कार्यक्रम 2023-23 (वित्त वर्ष 24) के तहत प्राप्त किया जाएगा। रेलवे की वित्त वर्ष 2024 में 300 वंदे मेट्रो ट्रेन, 1000 आठ डिब्बे वाली वंदे भारत ट्रेन, 35 हाइड्रोजन ट्रेन और माल ढुलाई बढ़ाने के लिए इंजन सहित अन्य को हासिल करने की तैयारी है।
रेलवे मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 में प्राथमिक संपत्ति को हासिल करने की लागत 1.9 लाख करोड़ रुपये के करीब आएगी। लेकिन अत्यधिक व्यय वाली योजनाओं को सामान्य तरीके से आगे बढ़ाया गया है। दरअसल, रेलवे का 2024 में महंगी योजनाओं जैसे वंदे भारत और हाइड्रोजन ट्रेन को संचालित करना पहली प्राथमिकता है। इन योजनाओं के निविदाएं जारी होने और ठेके दिए जाने के बीच अगले वित्त वर्ष में रोलिंग स्टॉक की इन नई परिसंपत्तियों पर शुद्ध पूंजीगत व्यय करीब 47,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
कोविड-19 के दौरान यात्रियों की संख्या कमी होने के कारण रेलवे का ध्येय मुख्यतौर पर माल ढुलाई पर था। लेकिन अब इसने फिर मुसाफिरों की सुविधाओं व आराम पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। रेलवे को 1000 आठ कोच वाली वंदे भारत ट्रेन खरीदने की लागत 65,000 करोड़ रुपये आएगी। इसमें बजटीय कोष से आवंटित 35,000 करोड़ रुपये ट्रांसपोर्टर से मिलने की उम्मीद है। जबकि 30,000 करोड़ रुपये ऋण के जरिए जुटाए जाएंगे। हालांकि इस योजना को वित्त वर्ष 24 में 10,000 करोड़ रुपये की ‘टोकन फंडिंग’ ही मिली है।
इसके अलावा रेलवे की योजना 27,500 करोड़ रुपये के 10,000 लिंके हॉफमैन बुश (एलएचबी) डिब्बे हासिल करने की है, जिसके लिए आधी राशि के पूंजीगत व्यय और उधारी को स्वीकृति मिली है। जबकि माल ढुलाई क्षेत्र में रेलवे की योजना 36,000 करोड़ रुपये के 2,000 इंजन हासिल करने की है। इस सिलसिले में सीमेंस को 9000 एचपी के इंजन बनाने की निविदा हाल में जारी कर दी गई है।
हाल ही में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में रेल मंत्रालय को 2.4 लाख करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन करने की घोषणा की थी। इसके लिए रेलवे को बाजार से राशि नहीं जुटानी होगी, बल्कि कई प्रस्तावों के लिए राशि का प्रतिशत ऋण के जरिये जुटाया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि रेलवे को इस तरह धन जुटाने की संभावित योजना की स्वीकृति मिली है। इसलिए यह भी संभव है कि इस कार्यक्रम में उल्लेखित तरीकों की तरह ही धन नहीं जुटाया जाए। इन परिसंपत्तियों के लिए बड़ी राशि के भुगतान की शुरुआत वित्त वर्ष 25 में होगी, उस समय में बाजार उधारी से रुपया जुटाया जा सकता है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही वंदे भारत मेट्रो की घोषणा कर चुके हैं। उनकी योजना इस वंदे भारत मेट्रो को देशभर के शहरों के बीच शुरू करने की है। इससे में मुसाफिरों को शहरों के बीच आवाजाही के लिए वैश्विक स्तर की सुविधाएं मिलेंगी। इन मेट्रो की 300 रेक का मूल्य 22,500 करोड़ रुपये आएगा।
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