नई दिल्ली (New Dehli)। रेलवे मैन्युअल में त्रिस्तरीय सुरक्षा मानकों (three tier security standards)की अनदेखी के कारण रविवार को एक मालगाड़ी बगैर ड्राइवर (goods train without driver)व गार्ड के जम्मू से पंजाब (Jammu to Punjab)पहुंच गई। हजारों टन माल से लदा होने के कारण मालगाड़ी ने ढलान पर दौड़ते हुए अधिकतम 51 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार पकड़ ली। इससे रेल प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। कठुआ (जम्मू) से होशियारपुर (पंजाब) के बीच 70 किलोमीटर का सफर तय कर चुकी इस मालगाड़ी को रेल अधिकारी भारी मशक्कत से बालू की बोरियां रखकर रोकने में सफल रहे। इस घोर लापरवाही को लेकर अभी तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है, लेकिन रेलवे ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जम्मू के कठुआ में सुबह छह बजे ड्यूटी समाप्त होने पर चिप पत्थर से लदी डीएमआर मालगाड़ी को स्टेशन पर खड़ा कर दिया। मालगाड़ी में लगे दोनों इंजन भी बंद थे। रेलवे मैन्युअल के अनुसार ऐसी स्थिति में इंजन व डिब्बे के पहियों में चार-छह लकड़ी के गुटके लगाए जाते हैं, जिससे ढलान में मालगाड़ी आगे चलनी नहीं शुरू कर दे। इसके साथ ही पहियों को सेफ्टी जंजीर से पटरियों से बाधा जाता है और इंजन का एडॉप्टर गिराकर ब्रेक लॉक कर दिया जाता है, जिससे मालगाड़ी में ब्रेक लगे रहते हैं।
किसी ने भी नियम का पालन नहीं किया
रेल मैन्युअल के त्रिस्तरीय सुरक्षा चक्र को सहायक लोको पॉयलेट, लोको पॉयलेट, गार्ड, रेलवे स्टेशन के संरक्षा कर्मियों ने पालन नहीं किया। इसके चलते सुबह 7.25 पर मालगाड़ी ढलान होने के कारण खुद ही चल पड़ी। दो डीजल इंजन व 53 डिब्बों में चिप पत्थर लदे होने के कारण मालगाड़ी ने 70 किलोमीटर को एक घंटे 35 मिनट में पूरा कर लिया। यानी मालागाड़ी 53.85 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार पर दौड़ती रही।
जम्मू-जालंधर का यह सेक्शन ढलान वाला है और इस दौरान कोई बड़ा हादसा हो सकता था। पंजाब के होशियारपुर के बस्सी रेलवे स्टेशन के पास एक चढ़ाई वाले स्थान पर बालू की बोरियां रखकर मालगाड़ी को रोका गया। रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि घटना का सही पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है। किसी प्रकार की जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है।
कालका-चंडीगढ़ रेलमार्ग पर ब्रेक लगाकर चलाई जाती हैं ट्रेनें
रेलवे के कालका-चंडीगढ़ सेक्शन पर ट्रेन ड्राइवर एक्सीलेटर के बजाए ब्रेक लगाकर चलाई जाती हैं। क्योंकि कालका-चंडी मंदिर के बीच (40 किलोमीटर) महज 200 मीटर पर पटरी दो मीटर डाउन हो जाती है। सात किलोमीटर चलने पर ड्राइवर ब्रेक लगाना शुरू कर देते हैं। इस दौरान ट्रेन को 90 किलोमीटर प्रतिघंटा चलाया जाता है। यह सिलसिला चंडीगढ़ तक चलता रहा है।
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