भोपाल। रेलवे कर्मचारियों (Railway Employees) ने इन दिनों आम लोगों के लिए प्राण वायु आक्सीजन (Oxygen) पहुंचाने में जुटे हैं तो दूसरी ओर आइसोलेशन कोच (Isolation Coach) तैयार कर लोगों को आइसोलेट (Isolate) करने में हर संभव मदद कर रहे हैं। इतना सब करने के बाद भी रेलवे (Railway) ने अपने कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर (Front line Worker) मानने से मना कर दिया है। रेलवे (Railway) के निर्णय पर भोपाल समेत देशभर की सभी यूनियनों ने आपत्ति दर्ज की है। इंडिया रेलवेमैंस फेडरेशन (India railwaymens federation) महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा (Shivgopal Verma) ने इस मामले में कड़ी आपत्ति जताते हुए राजेश भूषण (Rajesh Bhushan), सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिख कर नाराजगी व्यक्त की है।
हर संभव मदद के लिए खड़े फिर ऐसा क्यों
रेल यूनियन का कहना है कि रेल देश की रक्षा की दूसरी पंक्ति है और रेलकर्मी हमेशा संकट के समय खड़े रहे हैं। सभी मौसम में चौबीसों घंटे सभी बाधाओं का बहादुरी से सामना करते हुए राष्ट्र का पहिया चलाने के लिए जुटे हैं, ताकि पूरे देश में आवश्यक सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित बनी रहे, साथ ही जरूरतमंद यात्रियों को उसके गंतव्य तक पहुंचाकर राष्ट्र की सेवा कर रहा है। रेलकर्मियों द्वारा बड़ी संख्या में श्रमिक स्पेशल ट्रेनें भी चलाई गईं और कोविड-19 महामारी की स्थिति के दौरान 60 लाख से अधिक फंसे हुए श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया।
रेल कर्मचारी हुए कोरोना संक्रमित
एआइआरएफ महामंत्री मिश्रा ने बताया कि लगभग एक लाख रेलवे कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे और यह संख्या इस समय तक अधिक हो सकती है। इसके अलावा, लगभग दो हजार रेलकर्मियों ने इस महामारी के दौरान अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने बहुमूल्य जीवन का बलिदान दिया है। एआइआरएफ ने आपत्ति जताते हुए कहा कि उनका फेडरेशन शुरू से ही विभिन्न संवर्गों के बीच समानता की मांग कर रहा है।
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