अध्यक्ष सहित तकनीकी सदस्य ही नहीं ढूंढ पाई तीन माह से शिवराज सरकार
इन्दौर। बड़ी उम्मीदों के साथ रियल इस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी यानी रेरा का गठन हुआ था, मगर ना तो पीडि़तों को और ना ही बिल्डर-कालोनाइजरों को इससे कोई अधिक राहत मिल सकी है।
केन्द्र सरकार ने रियल इस्टेट कारोबार की अनियमितताओं को दूर करने के लिए यह कानून बनाया, जिसके चलते सभी राज्यों में भी रेरा अथॉरिटी गठित की गई। मगर मध्यप्रदेश में पिछले तीन महीने से अध्यक्ष के अलावा तकनीकी सदस्य की ही भर्ती शिवराज सरकार नहीं कर सकी है, जिसके चलते नए रजिस्ट्रेशन से लेकर विचाराधीन प्रकरणों में ना तो सुनवाई हो पा रही है और ना ही फैसले लिए जा रहे हैं। पूर्व में अध्यक्ष रहे जेसी एंटोनीडीसा को पिछले दिनों सीएम ने हटा दिया था। लिहाजा उनकी जगह किसी को अध्यक्ष नहीं बनाया और एक तकनीकी सदस्य की भी पूर्ति नहीं की गई। 60 हजार से अधिक मामले देशभर में निपटाने का भी दावा देशभर में रेरा अथॉरिटी के गठन के बाद 60 हजार प्रकरणों के निराकरण का दावा किया जा रहा है। सबसे अधिक 40 फीसदी प्रकरण उत्तरप्रदेश में निपटे हैं। पूरे देश में 60 हजार प्रोजेक्ट और 46 हजार एजेंट यानी ब्रोकर का रजिस्ट्रेशन अभी तक किया जा चुका है, लेकिन इंदौर में ही कई नए रजिस्ट्रेशन अटके हैं और सुनवाई के साथ फैसले भी नहीं हो पा रहे हैं।
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