नई दिल्ली: केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (Enforcement Directorate ) पिछले तीन दिनों से लगातार कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से पूछताछ कर रही है. राहुल गांधी से कई घंटों की पूछताछ में जांच अधिकारी कई सवालों का जवाब मांग रहे हैं. ईडी का सबसे बड़ा सवाल नेशनल हेराल्ड और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले से संबंधित है.
यह मामला साल 2010 में बनी गांधी परिवार के स्वामित्व वाली एक कंपनी यंग इंडियन लिमिटेड से जुड़ा है. जो महज 5 लाख रुपये की पूंजी से शुरू हुई थी. लेकिन जांच एजेंसी के मुताबिक आज उसके पास करीब 800 करोड़ रुपये की संपत्ति है. ये बड़ी संपत्ति कैसे तैयार हुई?
ईडी के अधिकारियों ने राहुल गांधी से पूछताछ के दौरान इस मामले में पूछा कि यंग इंडियन लिमिटेड कंपनी की संपत्ति में इजाफा एक सौदे की वजह से हुआ था. वह सौदा नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड के अधिग्रहण से हुआ था. उस वक्त राहुल गांधी की क्या भूमिका थी?
इसी सवाल के जवाब के दौरान राहुल गांधी ने बताया यंग इंडियन लिमिटेड का सारा काम मोतीलाल वोरा देखते थे. राहुल गांधी को कुछ भी जानकारी उस मामले में नहीं है और न ही राहुल गांधी किसी मीटिंग में जाते थे. यंग इंडियन लिमिटेड से लेकर नेशनल हेराल्ड तक का कंट्रोल मोतीलाल वोरा के पास था. कंपनी से जुड़ा हर लेनदेन उनके मार्गदर्शन और देखरेख में होता था.
ईडी की टीम इसी मामले में मोतीलाल वोरा, मल्लिकार्जुन खड़गे, पवन बंसल इत्यादि से पहले ही पूछताछ कर चुकी है. जांच एजेंसी द्वारा इसी साल अप्रैल महीने जब पूछताछ की गई थी तो पूछताछ के दौरान कई इनपुट्स मिले थे. जिसके बाद तफ़्तीश का दायरा बढ़ते हुए राहुल गांधी और सोनिया गांधी तक पहुंच गया था.
दो साल पहले मोतीलाल वोरा और कंपनी के प्रमुख शेयर होल्डर्स में एक ऑस्कर फर्नांडिस के निधन के बाद अब एक और बड़ा सवाल उठता है कि क्या उन दोनों के निधन के बाद जांच में राहुल गांधी को फायदा हो सकता है? क्योंकि वो दोनों इस मामले से सबसे बड़े राजदार थे.
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