मामला लॉकडाउन में प्रवासियों की मौत का
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मानसून सत्र के पहले दिन एक सवाल के जवाब में कहा है कि इस बात कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया है कि लॉकडाउन में कितने प्रवासी मजदूर मारे गए और कितनों की नौकरियां गईं। इस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा है। राहुल ने शायराना अंदाज में कहा- ‘तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई?.’ राहुल ने लिखा- मोदी सरकार नहीं जानती कि लॉकडाउन में कितने प्रवासी मज़दूर मरे और कितनी नौकरियां गईं। तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई? हां मगर दुख है सरकार पे असर ना हुई, उनका मरना देखा ज़माने ने, एक मोदी सरकार है जिसे ख़बर ना हुई।
बता दें कोरोना काल के चलते सदन में लिखकर सवाल जवाब किए जा रहे हैं। लोकसभा में विपक्ष के कई सांसदों ने सरकार से पूछा कि, लॉकडाउन के चलते देश में कितने प्रवासी मजदूरों की जान गई। जिस पर सरकार की ओर से कहा गया कि, उसके पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है जो बता सके कि इस दौरान कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई।
मोदी सरकार नहीं जानती कि लॉकडाउन में कितने प्रवासी मज़दूर मरे और कितनी नौकरियाँ गयीं।
तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई?
हाँ मगर दुख है सरकार पे असर ना हुई,
उनका मरना देखा ज़माने ने,
एक मोदी सरकार है जिसे ख़बर ना हुई।— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 15, 2020
इसके साथ ही सरकार से प्रवासी मजदूरों के बारे में कई अहम सवाल किए गए. क्या सरकार प्रवासी मजदूरों के आंकड़े को पहचानने में गलती कर गई। क्या सरकार के पास ऐसा आंकड़ा है कि लॉकडाउन के दौरान कितने मजदूरों की मौत हुई है क्योंकि हजारों मजदूरों के मरने की बात सामने आई है। इसके अलावा सवाल पूछा गया कि क्या सरकार ने सभी राशनकार्ड धारकों को मुफ्त में राशन दिया है, अगर हां तो उसकी जानकारी दें। इसके साथ लिखित सवाल में कोरोना संकट के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदमों की जानकारी मांगी गई।
लॉकडाउन के बाद लाखों प्रवासी मजदूर सड़कों पर आ गए थे
लोकसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने लिखित में दिया। जवाब में कहा गया है कि भारत ने एक देश के तौर पर जिसमें केंद्र-राज्य सरकार, लोकल बॉडी भी शामिल है ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। मौत के आंकड़ों को लेकर सरकार का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई डेटा नहीं है।
दीगर है कि लॉकडाउन लगने के तुरंत बाद लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर सड़कों पर आ गए थे और पैदल ही घर जाने लगे थे। इस दौरान कई मजदूरों की एक्सीडेंट, भूख-प्यास और तबीयत खराब होने के कारण मरने की खबर भी आई थी, जिस पर विपक्ष ने सरकार को घेरा था।
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