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    संघ की नर्सरी में राहुल को मिल रहा जबरदस्त जन समर्थन

  • November 28, 2022

    • मालवा-निमाड़ में निकल रही भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हो रहे दूर-दूर के लोग

    भोपाल। मप्र में संघ की नर्सरी मालवा-निमाड़ में निकल रही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है। यात्रा जिस रास्ते से होकर गुजर रही है, वहां दूर-दूर से लोग राहुल को देखने उमड़ रहे हैं। यात्रा से जुड़ते लोगों की भीड़ देखकर कांग्रेस उत्साहित है।
    गौरतलब है कि संघ का सबसे ज्यादा फोकस मालवा-निमाड़ पर रहता है। वहीं, मप्र भाजपा के ज्यादातर बड़े नेता इसी अंचल से निकले हैं। वैसे तो मालवा-निमाड़ में भाजपा के कई दिग्गज नेता आते हैं, लेकिन सीएम शिवराज सिंह चौहान इस अंचल से न होते हुए भी उनकी स्वीकार्यता यहां मानी जाती है, जबकि कैलाश विजयवर्गीय इस क्षेत्र में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा है। इसके अलावा मालवा-निमाड़ से आने वाले भाजपा नेता सत्यनारायण जटिया को भी भाजपा संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है। जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भी भाजपा में आने से मालवा-निमाड़ में पार्टी की ताकत बड़ी है। ऐसे में पार्टी एससी-एसटी के साथ ओबीसी वर्ग को भी साधने की पूरी तैयारी में हैं। कुल मिलाकर भाजपा का पूरा फोकस मालवा-निमाड़ पर बना हुआ है।



    मप्र का किंगमेकर है मालवा-निमाड़
    दरअसल, प्रदेश की सत्ता के लिए मालवा-निमाड़ सबसे अहम होता है। क्योंकि ये वो इलाका है, जहां से राजधानी भोपाल का रास्ता तय होता है। यानी मालवा-निमाड़ को प्रदेश की सत्ता की चाबी कहा जाता है। क्योंकि छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद से ही मालवा-निमाड़ मध्यप्रदेश का एक तरह से किंगमेकर बनकर उभरा है। इस जोन में जिस पार्टी को यहां कामयाबी मिलती है, प्रदेश की सत्ता पर उसी का राजतिलक होता है, पिछले पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे तो यही कहते हैं।

    मालवा-निमाड़ में विधानसभा की 66 सीटें
    मालवा-निमाड़ में विधानसभा की 66 सीटें आती हैं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार की सबसे बड़ी वजह मालवा-निमाड़ ही रहा था। क्योंकि यहां की फिलहाल यहां की 66 सीटों में से सबसे अधिक 35 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, तो भाजपा को केवल 28 सीटें मिली थी, जिससे कांग्रेस 15 साल बाद प्रदेश की सत्ता वापसी में सफल रही थी। जबकि साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मालवा-निमाड़ को एकतरफा जीतते हुए 57 सीटों पर अपना कब्जा किया था, जबकि कांग्रेस को केवल नौ सीटें मिली थी, जिससे भाजपा बंपर बहुमत मिला था। साल 2013 और 2018 के नतीजों के आधार पर सीटों का यही बड़ा अंतर भाजपा और कांग्रेस की सरकारें बनवाने में अहम साबित हुआ था, लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए मालवा-निमाड़ सबसे महत्वपूर्ण साबित होता रहा है। दोनों ही दलों ने अपनी-अपनी ताकत इस हिस्से में झोंकते हैं। यही वजह है कि साल 2023 के लिए भाजपा यहां खास फोकस कर रही है।

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