नई दिल्ली। कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गाँधी का बड़ा बयान सामने आया है, जिसमे उनके जरिये ये साबित हो रहा है की उनके अंदर अभी भी नासमझी है। राहुल गांधी ने ये साबित किया कि उनके होम वर्क की कमी के चलते उनका अल्पज्ञान सबके सामने आ चुका है। राहुल गांधी को कानून और बिल में फर्क नहीं पता है। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि वो खुद इस बात पर मुहर लगा रहे हैं।
राहुल गांधी के अज्ञानता का एक और सबूत : कृषि कानून के खिलाफ विपक्ष के 5 नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कृषि कानून को वापस लेने की मांग की। लेकिन राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद विपक्ष के नेताओं का डेलिगेशन बाहर आया और इस दौरान राहुल गांधी ने मीडिया को संबोधित किया। राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि “जो किसान हैं, उसने इस देश की नींव रखी है और वो दिन रात इस देश के लिए काम करता है। ये जो बिल पास किया गया है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि जो बिल किसानों के हित के लिए है। सवाल उठता है कि ये बिल किसानों के हित में है तो किसान सड़कों पर क्यों खड़ा है। किसान इतना गुस्सा क्यों है? क्योंकि इन बिलों का लक्ष्य प्रधानमंत्री जी के मित्रों को हिन्दुस्तान का ये जो एग्रीकल्चर सिस्टम है वो पकड़ाने का है। और किसान इस बात को बहुत अच्छी तरह समझ गया है। किसान की शक्ति के सामने कोई नहीं खड़ा हो सकता है। सरकार के गलतफहमी में नहीं होना चाहिए। सरकार को ये नहीं सोचना चाहिए कि किसान हट जाएंगे, डर जाएगे। हिंदुस्तान का किसान डरेगा नहीं और हटेगा नहीं, जबतक ये बिल रद्द नहीं करते।”
राहुल गांधी की आखिरी वाली पंक्ति गौर करने वाली है कि ‘हिंदुस्तान का किसान डरेगा नहीं और हटेगा नहीं, जबतक ये बिल रद्द नहीं करते।।’ राहुल गांधी को कृषि कानून और कृषि बिल में अंतर नहीं पता। तभी तो वो बिल रद्द करने की मांग कर रहे है, जबकि देश के अन्नदाता भी इसे कानून बता रहे हैं मतलब कि किसानों को भी बिल और कानून में फर्क मालूम है, लेकिन राहुल बाबा… राहुल गांधी के बयान को सुनकर हर कोई इस बात में उलझ जाएगा कि हमारे देश के अन्नदाता कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं या फिर कृषि बिल का? निश्चित तौर पर राहुल गांधी ने ‘ये’ गलती कर फिर से अपना मजाक बना दिया है। या फिर राहुल गांधी इस कृषि कानून को कानून मानना ही नहीं चाहते हैं, तभी तो उन्हें अभी तक ये बिल पास होने के बाद भी बिल ही समझ आ रहा है।
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