पश्चिम चंपारण। बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार करने पहुंचे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना रावण से की है। राहुल गांधी ने वेस्ट चंपारण में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने 2014 में वादा किया था कि वह बिहार की चीनी मिलों को चालू कराएंगे और जब अगली बार आएंगे तो यहां की मिल में बनी चीनी को चाय में मिलाकर पिएंगे। मैं पूछता हूं पीएम आपके साथ चाय पीये क्या?
राहुल ने आगे कहा कि आमतौर से दशहरे में रावण, कुंभकरण ओर मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन इस बार पंजाब में दशहरा पर पहली बार नरेंद्र मोदी, अंबानी जी और अडानी जी के पुतले जलाए गए। ऐसा पूरे पंजाब में देखने को मिला। कारण क्या है, आज भारत का किसान नरेंद्र मोदी जी का पुतला क्यों जला रहा है। ये दुख की बात है कि देश का किसान दशहरे पर देश के प्रधानमंत्री का पुतला जला रहे हैं। साल 2006 में जो गलती नीतीश कुमार ने की उसी गलती को पीएम मोदी ने देश भर में लागू कर दिया है। शहर का सहारा गांव होता है, गांव का सहारा किसान होता और किसान का सहारा खेत होता है। इसलिए किसान के बिना शहर नहीं चल सकता है। ये भारत की सच्चाई है। लेकिन नरेंद्र मोदी जो कानून लेकर आए हैं वह भारत के किसानों पर आक्रमण है। बिहार में 2006 में मंडी के सिस्टम और एमएसपी के सिस्टम को खत्म किया गया था। नए सिस्टम में गन्ना किसान चाहे कुछ भी कर ले उसे सही दाम नहीं मिलेगा।
यही वजह है कि बिहार के किसानों को अपना प्रदेश से बाहर जाना पड़ रहा है। जब महात्मा गांधी दुनिया की सुपर पावर से लड़ने जा रहे थे तो वह चंपारण आए, वह बिहार आए। वो जानते थे कि असल भारत यहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि बिहार के युवाओं को बताया जाता है कि सपने देखो, रोजगार देखो, लेकिन रोजगार बिहार में नहीं मिलेगा, यह बंगलोर और हरियाणा में मिलेगा। ये मत सोचिए कि बिहार के किसान और युवा में कोई कमी है, असल कमी नीतीश कुमार और पीएम मोदी में है। वे सच नहीं बताते हैं, वे केवल झूठ बोलते हैं। नरेंद्र मोदी जी ने दो करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया था। लेकिन उल्टा नौकरी से निकाल दिया। लाखों बिहारियों को देश के अलग अलग हिस्से से भगाया गया।
जब मजदूर बिहार लौटे तो क्या पीने का पानी मिला, खाना मिला, बस मिला? कुछ नहीं मिला, मजदूर पैदल आए। जब मैं इन मजदूरों से मिलने पहुंचा जो उन्होंने बताया कि अगर पीएम मोदी को लॉकडाउन करना था तो दो दिन की मोहलत क्यों नहीं दी, हम घर चले जाते। उन्होंने लॉकडाउन रात के आठ बजे झटके में क्यों दिया। लॉकडाउन और नोटबंदी का जवाब एक ही है। इसका लक्ष्य एक ही था, जो छोटे किसान हैं, छोटे कारोबारी हैं उनके धंधे को नष्ट करना। नोटबंदी के दौरान आम लोगों की जेब से पैसे निकले। ये पैसे देश के अंबानी अडाणी जैसे लोगों के लोन माफ किए गए। गरीब के पैसे सीधे अमीरों की जेब में चले गए। लॉकडाउन के दौरान भी अमीरों के कर्जे माफ किए।
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