पुणे (Pune) । लोकसभा चुनाव 2024 में शानदार प्रदर्शन करने के बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) के विपक्षी गठबंधन (Opposition Alliance) महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की निगाहें अब विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) पर हैं। यही वजह है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अब पुणे जा रहे हैं, जहां वह वार्षिक पंढरपुर तीर्थयात्रा में शामिल होंगे। दरअसल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव इसी साल होने वाले हैं। उससे पहले विभिन्न दलों में गतिविधियां तेज हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले महायुति और महाविकास आघाड़ी (एमवीए) दोनों अपने-अपने तरीके से चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं। जहां सत्ताधारी महायुति में भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) शामिल हैं तो वहीं एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार गुट), और कांग्रेस शामिल हैं।
राहुल गांधी 13 या 14 जुलाई को तीर्थयात्रा में शामिल होंगे
मंगलवार को, एमवीए के नवनिर्वाचित सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार के साथ राहुल गांधी से मुलाकात की और उन्हें वार्षिक तीर्थयात्रा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे और एनसीपी (एसपी) सांसद धैर्यशील मोहिते-पाटिल भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। कांग्रेस विधायक संजय जगताप ने कहा, “राहुल गांधी 13 या 14 जुलाई को तीर्थयात्रा में शामिल होंगे और तीर्थयात्रियों के साथ कुछ दूरी तक चलते हुए संत ज्ञानेश्वर महाराज और संत तुकाराम महाराज पालकी का आशीर्वाद लेंगे।”
राहुल गांधी को वार्षिक पंढरपुर तीर्थयात्रा में शामिल करने के कदम को महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं के बीच एमवीए की पहुंच को और मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। एमवीए ने लोकसभा चुनावों के दौरान राज्य की 48 सीटों में से 31 सीटें जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने अकेले 13 सीटें जीती थीं। महाराष्ट्र से दो बार गुजरने वाली अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान भी राहुल गांधी को राज्य के लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी। यही वजह है कि भाजपा अब राहुल की इस यात्रा का विरोध कर रही है।
भाजपा को टेंशन क्यों?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र भाजपा आध्यात्मिक प्रकोष्ठ के नेता तुषार भोसले ने कहा कि एनसीपी (सपा) प्रमुख शरद पवार को राहुल गांधी को वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए आमंत्रित करने का कोई अधिकार नहीं है। भोसले ने कहा, “जो व्यक्ति हमेशा हिंदुओं से नफरत करता है, उसे तीर्थयात्रा के लिए कैसे आमंत्रित किया जा सकता है? वारी (पंढरपुर तीर्थयात्रा) शरद पवार के गृहनगर से सदियों से गुजरती रही है, लेकिन एनसीपी (सपा) नेता ने अपने जीवन में कभी इसका पालन नहीं किया।” भोसले ने कहा कि शरद पवार और राहुल गांधी आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को देखते हुए वार्षिक पंढरपुर तीर्थयात्रा में रुचि दिखा रहे हैं। शरद पवार 7 जुलाई को अपने गांव कटेवाड़ी से निकलने वाले वारी जुलूस का स्वागत करने जा रहे हैं।
पंढरपुर तीर्थयात्रा क्या है?
पंढरपुर तीर्थयात्रा (जिसे वारी भी कहा जाता है) महाराष्ट्र के पंढरपुर शहर में स्थित विट्ठल रुक्मिणी मंदिर की एक प्रमुख धार्मिक यात्रा है। यह यात्रा हिंदू धर्म के भक्तों द्वारा भगवान विट्ठल (विट्ठोबा) और उनकी पत्नी रुक्मिणी को समर्पित होती है। भगवान विट्ठल को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। पंढरपुर वारी का मुख्य आकर्षण आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है। इस दिन लाखों भक्त पंढरपुर पहुंचते हैं और भगवान विट्ठल के दर्शन करते हैं।
यह यात्रा संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम के पालकियों के साथ होती है। ये पालकियां अलंदी और देहू से निकलकर पंढरपुर तक जाती हैं। यह यात्रा लगभग 250 किमी की होती है और इसमें कई भक्त पैदल चलते हैं। इस तीर्थयात्रा में लाखों भक्त भाग लेते हैं। वे “वारी” नामक समूहों में चलते हैं और रास्ते में भजन, कीर्तन और अन्य धार्मिक गतिविधियाँ करते हैं। पंढरपुर में पवित्र चंद्रभागा नदी भी स्थित है, जहां भक्त स्नान करके अपने पापों का शुद्धिकरण करते हैं। पालकी यात्रा 17 जुलाई को आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर पंढरपुर में भगवान विट्ठल के मंदिर पहुंचेगी।
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