नई दिल्ली (New Delhi) । राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की संसद सदस्यता (parliament membership) पर फैसला किया जाना है, वह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (1) में सूचीबद्ध है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की इस धारा में कुछ विशिष्ट अपराधों को ही शामिल किया गया, जिसके तहत किसी सदस्य की सदस्यता रद्द की जा सकती है। इन अपराधों में दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, रिश्वतखोरी और चुनाव में अनुचित प्रभाव या व्यक्तित्व को शामिल किया गया है। मानहानि (defamation) से जुड़े मामलों को इससे सूची से बाहर रखा गया है।
इसके अलावा दूसरा, यदि सांसद को किसी अन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है और उसे दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) के तहत सांसद को दोषी ठहराए जाने और कम से कम दो साल कैद की सजा सुनाए जाने पर अयोग्य ठहराया जा सकता है।
धारा 8 (4) को सुप्रीम कोर्ट निरस्त कर चुका है, जिसमें सजा के खिलाफ अपील करने पर सदस्यता नहीं जाती थी। कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में इस धारा को दो रिट याचिकाओं के आधार पर 2013 में निरस्त कर दिया। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि अपील के बाद उन पर कई साल तक फैसला नहीं होता और जब होता है तब तक सांसद अपना कार्यकाल पूरा कर चुका होता है। कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार किया और धारा को निरस्त कर दिया।
इसका मतलब है कि सजा के खिलाफ अपील करना काफी नहीं है, न ही इसका कोई अर्थ है। दंडित सांसद को ट्रायल कोर्ट की दोषसिद्धि के ऊपर स्टे आदेश लेना होगा। साीआरपी की धारा 389 के तहत अपीलीय कोर्ट, जो इस मामले में सेशन कोर्ट होगा, अपील के लंबित रहने तक दोषसिद्धि को निलंबित कर सकता है।
कई सांसद और विधायक अयोग्य ठहराए जा चुके
पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में छजलेट सीट से यूपी के पूर्व मंत्री आजम खां के पुत्र की सीट खाली घोषित कर दी गई थी। यह कार्रवाई उनके धोखाधड़ी के मामले में दो साल से ज्यादा की सजा मिलने के बाद की गई थी। इसके बाद आजम खां की सीट भी नफरती भाषण मामले में दंडित होने के बाद खाली घोषित कर दी गई। साथ ही भाजपा के विक्रम सैनी की विधायकी दंगों के मामले में सजा होने पर चली गई। भाजपा सांसद अशोक चंदेल की सदस्यता भी हत्या के मामले दंडित होने पर चली गई।
सुप्रीम कोर्ट में उठाए गए थे मामले
ये मामले सुप्रीम कोर्ट में उठाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2013 में कहा था कि कम से कम सरकार/ निर्वाचन आयोग को उन्हें सांस लेने की मोहलत तो देनी चाहिए थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी तब की थी, जब सजा का ऐलान होते ही आजम खां के बेटे को विधानसभा सचिवालय ने अयोग्य घोषित कर दिया और सूचना निर्वाचन आयोग को भेज दी। सूचना मिलते ही निर्वाचन आयोग ने सीट खाली घोषित कर चुनाव कार्यक्रम प्रकाशित कर दिया था। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव भी इसी कानून के तहत अयोग्य ठहराए जा चुके हैं।
अगले चुनाव पर भारी पड़ सकती है दोषसिद्धि
जानकारों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी राहुल गांधी को सांस लेने यानी कानूनी राहत लेने का वक्त दे सकती है। लेकिन, उनकी सदस्यता बचेगी नहीं, क्योंकि वह अयोग्य हो चुके हैं। उनकी दोषसिद्धि अगला चुनाव लड़ने से अयोग्य कर सकती है। धारा-8 के तहत सजा के बाद उन्हें छह साल के लिए चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया जाएगा। यानी कुल आठ वर्ष तक वे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
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