नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर संवैधानिक पदों पर विराजमान व्यक्तियों और व्यवस्थाओं के लगातार अपमान करने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि देश आज देख रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का संसदीय लोकतंत्र में विश्वास खत्म हो गया है।
सीतारमण ने लोकसभा में आम बजट 2021-22 पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए कांग्रेस एवं उसके नेतृत्व पर जोरदार हमला किया और कहा कि संसद में विपक्ष का दायित्व सरकार को कठघरे में खड़ा करना और उसकी जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करना है। लेकिन कांग्रेस ‘डूम्सडे मैन’ के नेतृत्व में कहां जा रही है।
आक्रामक अंदाज में दिख रहीं वित्त मंत्री ने कहा कि संसद में बजट पर बहस और चर्चा करने की परंपरा रही है। हम भी चर्चा करना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस के नेता क्या भूमिका निभाना चाहते हैं। राज्यसभा में जिनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता बजट पर प्रश्न पूछते हैं और जवाब सुनते हैं, वो लोकसभा में क्यों नहीं होता। आखिर ये क्या तरीका है।
उन्होंने कांग्रेस नेता के 11 फरवरी के सदन में बजट पर बहस के दौरान किसानों पर दिये गये उनके भाषण को लेकर दस सवाल पूछे और कहा कि हम देख रहे हैं कि वह लगातार भारत को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे खिलाफ शरारत करने वाले पड़ोसी देश के साथ पार्टी के स्तर पर समझौता कर रहे हैं। सीमा पर तनाव है तो उनके दूतावास से जानकारी ले रहे हैं कि क्या हो रहा है। इतने वरिष्ठ नेता एक गुट से बात करते हैं और भयंकर अपशब्द बोलते हैं, यह एकदम अस्वीकार्य है।
सीतारमण ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने उनके अपशब्दों को लेकर कटाक्ष किया तो तुरंत माफी मांग ली लेकिन फिर से वही चलन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि इन दस प्रश्नों के साथ कांग्रेस की दो प्रवृत्तियां सामने आ गयीं हैं। पहली, ये जनता के लिए लुभावनी योजनाओं को जन्म देते हैं, उसका ठीक से क्रियान्वयन नहीं करते और फिर उसे अपने ‘हमारे दो’ के लिए उपयोग करते हैं। दूसरी, इसके बारे में जब कोई कुछ कहेगा तो उसे बोलने नहीं देंगे और अनर्गल आरोप लगाएंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी ने 11 फरवरी को संवैधानिक पद पर विराजमान लोकसभा अध्यक्ष का अपमान किया। लेकिन अध्यक्ष का बड़प्पन था जो उन्होंने इसे ध्यान नहीं दिया। उन्होंने इससे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का भी अपमान किया था। उन्होंने कहा कि इससे देश जान गया है कि उनका संसदीय लोकतंत्र में विश्वास खत्म हो गया है।
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