पटना। राहुल गांधी के रेलवे पर कोरोना संकट में पैसे कमाने के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने उन्हें तथ्यों को पढ़ने की नसीहत दी। राहुल को देश का सबसे कंफ्यूज नेता बताते हुए उन्होंने कहा, झूठ और दुष्प्रचार को ही राजनीति मान बैठे कांग्रेस के युवराज बार-बार अपनी भद्द पीटवाने के बाद भी कंफ्यूजन से बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं। यह इनका कंफ्यूजन ही है कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए यह कोरोना काल में लोगों के लिए देवदूत बने भारतीय रेलवे पर भी हमला करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
न्होंने रेलवे पर कोरोना काल में 428 करोड़ रुपये कमाने के आरोप लगाए हैं, जबकि हकीकत में इस बीच रेलवे लोगों की सेवा में 2,142 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। इससे एक छोटा सा बच्चा भी अनुमान लगा सकता है कि सेवा कार्यों के चलते रेलवे के अपनी जेब से 1714 करोड़ रुपये लग चुके हैं। इससे साफ़ है कि अपने कंफ्यूजन में राहुल गांधी को बेसिक गणित का भी ख्याल नहीं है। राहुल को हमारी सलाह है कि कम से कम अपनी गिर चुकी साख और अपनी पार्टी पर तरस खाएं और संकट के समय इस तरह की ओछी राजनीति से बाज आयें।
डॉ. जायसवाल ने कहा कि यह सर्वविदित है कि प्रवासी श्रमिकों का 85% खर्च केंद्र सरकार और 15% खर्च राज्य सरकार को करना था। राहुल गांधी को यह भी नहीं पता कि यह 428 करोड़ राज्यों के उसी 15% से अर्जित है। इसमें गुजरात ने सर्वाधिक 102 करोड़ का भुगतान किया है। राहुल से सवाल पूछते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अपनी कमियों को छिपाने के लिए बार-बार केंद्र सरकार पर झूठे आरोप लगाने वाले राहुल यह जान लें कि कोरोना काल में जितने काम सिर्फ बिहार भाजपा ने किये है, उनकी पूरी की पूरी पार्टी मिलकर भी उसके एक-चौथाई भाग की भी बराबरी नहीं कर सकती।
कोरोना काल में राहुल के सिर्फ ट्वीटर दर्शन हुए
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पूरे कोरोनाकाल में भाजपा के कार्यकर्ता जहां केंद्र और राज्य सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हुए नजर आ रहे थे, वहीं राहुल गांधी के दर्शन ट्विटर के अतिरिक्त कहीं हुए ही नहीं। राहुल बताएं कि इस पूरी अवधि में कांग्रेस ने कितने फ़ूड पैकेट बांटे। उनके कितने नेताओं ने पीएम केयर फंड में अपना योगदान दिया। उनकी पार्टी ने कितने मास्कों का निर्माण और वितरण किया। सोनिया गांधी ने जो देश के सभी मजदूरों का किराया देने का वचन दिया था, उसके तहत कांग्रेस ने केंद्र को कितने पैसे दिए। (एजेन्सी, हि.स.)
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