नई दिल्ली। असम (Assam) में एक बार फिर से बड़ा बवाल (violence) हुआ है. इस बार दरांग जिले के ढोलपुर गोरुखुटी गांव में पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हिंसक झड़प (Violent clash between police and local people) हो गई. इस झड़प में दो लोगों के मारे जाने की खबर है. 9 पुलिसकर्मी भी घायल बताए जा रहे हैं. इस पूरे बवाल पर अब सियासत भी तेज हो गई है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस हिंसा को राज्य प्रायोजित बताया है. वहीं, असम कांग्रेस ने भी इसकी निंदा की है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘असम राज्य प्रायोजित आग में जल रहा है. मैं असम में अपने भाई-बहनों के साथ खड़ा हूं. भारत का कोई भी बच्चा इसके लायक नहीं है।’
असम कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने कहा, ‘जब से हिमंता बिस्वा सरमा असम के मुख्यमंत्री बने हैं, तब से हर काम में लगभग पुलिस को बहुत ताकत दी गई है और पुलिस भी हर स्थिति से निपटने के लिए गोलियों का सहारा ले रही है, जो नागरिकों के लिए चिंता का विषय है.’ उन्होंने कहा कि पुलिस चाहती तो लोगों को पकड़ कर ले जा सकती थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है कि किसी को भी गोली मारो. उन्होंने कहा, ‘दरांग के एसपी मुख्यमंत्री के भाई हैं. बड़ा भाई सीएम है, छोटा भाई एसपी है तो क्या जिसे चाहेंगे उसे गोली मारेंगे. हम ऐसा नहीं होने देंगे।’
इससे पहले भूपेन कुमार बोरा ने असम सरकार की निंदा करते हुए इसे अमानवीय बताया है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी बेदखल करने के खिलाफ निर्देश दिया था, फिर भी सीएम डॉ. हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार लोगों को बेदखल कर रही है, जो 1970 से यहां रह रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकार को लोगों को वहां से हटाने से पहले उनके लिए वैकल्पिक आवास की व्यवस्था करनी चाहिए।
भूपेन बोरा ने आरोप लगाया कि 2016 के बाद से भाजपा सरकार यहां लगातार लोगों को प्रताड़ित कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की है. ऐसे में वो गरीब लोग कहां रहेंगे? कैसे जिंदा रहेंगे? उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकार लोगों के पुनर्वास की व्यस्था करे और उन्हें जबरदस्ती बेदखल न करे. भूपेन बोरा ने कहा कि ये सरकार सिर्फ गोली की ताकत पर शासन करना जानती है।
क्या हुआ है असम में?
दरांग जिले के ढोलपुर गोरुखुटी गांव में पुलिस लोगों को हटाने गई थी. दावा है कि ये लोग यहां अतिक्रमण कर रहे थे. बताया जा रहा है कि इससे गांव के 800 से ज्यादा परिवार और 20 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. गांव में ज्यादातर पूर्वी बंगाली मूल के मुसलमान की है. जब लोगों को हटाने के लिए पुलिस गई तभी स्थानीय लोगों के साथ झड़प हो गई. इस झड़प में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई. 9 पुलिसकर्मियों के भी घायल होने की बात कही जा रही है।
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