नई दिल्ली: शरद पवार के अध्यक्ष पद के इस्तीफे को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की गठित कमेटी ने शुक्रवार (5 मई) को खारिज कर दिया. पिछले कई दिनों से एनसीपी के कार्यकर्ता भी उनसे प्रेसिडेंट पद पर बने रहने को कह रहे हैं. इसी बीच कई विपक्षी नेताओं ने भी शरद पवार से एनसीपी का प्रेसिडेंट पद नहीं छोड़ने को कहा है.
सूत्रों के मुताबिक, इसी बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी शरद पवार की बेटी और एनसीपी नेत्री सुप्रिया सुले से बात कर उन्हें अपनी चिंता से अवगत कराया. राहुल गांधी और एमके स्टालिन ने सुप्रिया सुले को फोन कर एनसीपी में चल रही हलचल को लेकर बात की है.
स्टालिन ने ट्वीट करके भी लिखा कि 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए शरद पवार को एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ने के अपने फैसले के बारे में फिर से विचार करना चाहिए है. उनसे (शरद पवार) से कई विपक्षी नेताओं ने भी गुजारिश की है कि वो लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव तक एनसीपी कमान अपने हाथ में रखें. दरअसल पवार ने मंगलवार (2 मई) को अपनी आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती’ के संशोधित संस्करण के विमोचन के दौरान इस्तीफे की घोषणा की थी.
एनसीपी ने शरद पवार का इस्तीफा नहीं किया मंजूर
एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने शुक्रवार को कहा कि एनसीपी का नया अध्यक्ष चुनने के लिए गठित की गई एक समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर, पार्टी के अध्यक्ष का पद छोड़ने के शरद पवार के फैसले को मंजूर नहीं किया है. एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा करने के बाद दो मई को पवार ने, पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने के लिए एक कमेटी का गठन किया था जिसमें उनके भतीजे अजित पवार, पुत्री सुप्रिया सुले, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल शामिल थे.
क्या माने जाने लगा?
शरद पवार के एनसीपी के अध्यक्ष पद छोढ़ने की घोषणा के बाद से उन्हें लेकर पार्टी में हलचल तेज हो गई थी. यहां तक कि ये भी माना जाने लगा था कि एनसीपी, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे वाले महा विकास अघाड़ी गठबंधन से पहले जैसी एकता नहीं रही. हालांकि इससे खारिज करते हुए पूर्व सीएम उद्धव टाकरे ने कहा था कि ऐसा नहीं है. हम एमवीए को लगातार मजबूत बनाने को लेकर काम कर रहे हैं.
उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने भी पवार से इस्तीफे वापस लेने को कहा था. बता दें कि शरद पवार ने एनसीपी का अध्यक्ष पद छोडने का एलान ऐसे समय किया था जब अटकलें लगाई जा रहा थी कि उनके भतीजे अजित पवार और कुछ विधायक बीजेपी के साथ हाथ मिला सकते हैं. हालांकि अजीत पवार ने इस बात का खंडन करते हुए दावा किया था कि वह आजीवन एनसीपी के साथ रहेंगे.
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