नई दिल्ली। बजाज ग्रुप (Bajaj Group) के मानद चेयरमैन राहुल बजाज (Rahul Bajaj) अब हमारे बीच नहीं है. पर क्या आप जानते हैं कि वो स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज के पोते हैं जिन्हें महात्मा गांधी अपने बेटे जैसा मानते थे।
जमनालाल बजाज ने 1926 में बजाज समूह की स्थापना की और बाद में उनके बेटे कमलनयन बजाज ने समूह के कारोबार को आगे बढ़ाया। जमनालाल बजाज स्वतंत्रता सेनानी थे और महात्मा गांधी के वर्धा आश्रम के लिए उन्होंने अपनी जमीन भी दान दी थी. उनके देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) से घनिष्ठ संबंध थे और दोनों परिवारों के बीच काफी आना-जाना था।
नेहरू ने रखा ‘राहुल’ नाम
कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज को जब 10 जून 1938 में बेटा हुआ, तो इसकी सूचना जवाहर लाल नेहरू को दी गई। उन्होंने बेटे का नाम राहुल बजाज रख दिया. ये बात जब इंदिरा गांधी को पता चली तो वो बहुत नाराज हुईं, क्योंकि वो अपने बेटे का नाम राहुल रखना चाहती थीं. लेकिन 20 अगस्त 1944 को जब उन्हें बेटा हुआ, तो उन्होंने अपने बेटे का नाम थोड़ा बदलकर राजीव रखा।
राहुल ने इसलिए रखा बेटे का नाम राजीव
समय रहते राहुल बढ़े हुए और जब उन्हें बेटा हुआ तो उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार के बीच हुई इस नाम की अदल-बदल को बरकरार रखा और अपने बेटे का नाम राजीव रख दिया. बाद में जब राजीव गांधी को बेटा हुआ तो उन्होंने इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए अपने बेटे का नाम राहुल गांधी रखा. राहुल बजाज ने अपने दूसरे बेटे का नाम भी संजय गांधी से मिलता-जुलता संजीव बजाज रखा गया।
अपनी तरह की पहली ‘लव मैरिज’
एक टीवी इंटरव्यू में राहुल बजाज ने बताया था कि उन्होंने अपने जीवन में जो मुकाम हासिल किया, उसका पूरा श्रेय उनकी पत्नी रुपा बजाज को जाता है। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ हुई शादी से जुड़ी एक अनोखी बात भी शेयर की थी. राहुल ने कहा कि 1961 में जब उनकी शादी मराठी ब्राहम्ण परिवार की रुपा घोलप से हुई तो वह उस दौर के सभी राजस्थानी मारवाड़ी उद्योग घरानों में होने वाली पहली ‘लव मैरिज’ थी. ऐसे में दोनों परिवारों के बीच तालमेल बैठाना थोड़ा मुश्किल था।
‘हमारा बजाज’ ने पहुंचाया घर-घर
बजाज ऑटो पहले मुख्य तौर पर 3-व्हीलर्स का काम करती थी, जिसकी नींव राहुल के पिता कमलनयन बजाज ने रखी थी. आज भी बजाज ऑटो दुनिया की सबसे बड़ी 3-व्हीलर एक्सपोर्ट करने वाली कंपनी है. लेकिन 1972 में बजाज ऑटो ने ‘चेतक’ ब्रांड नाम का स्कूटर इंडियन मार्केट में उतारा. इस स्कूटर ने बजाज को देश के कोने-कोने और घर-घर में पहचान दिलाई. इस स्कूटर ने भारत के मध्य वर्ग को एक नया सपना या यूं कहें पहला सपना दिया. बजाज चेतक के लिए कंपनी ने मार्केटिंग स्ट्रैटजी के तौर पर ‘हमारा बजाज’ स्लोगन तैयार किया. इस स्लोगन ने कई पीढ़ियों तक लोगों के मन पर राज किया. आज भी इसे हिंदुस्तान के सबसे सफल मार्केटिंग कैंपेन में से एक माना जाता है।
जब Pulsar के रूप में आया ‘A Boy’
सन 2000 में बजाज ऑटो ने अपनी पूरी इमेज का मेकओवर किया. राहुल बजाज की इसमें अहम भूमिका रही और एक स्कूटर बनाने वाली कंपनी को एक मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनी बनाया। चेतक जहां शादी-शुदा या परिवार के लोगों की पंसद वाला स्कूटर था, वहीं कंपनी ने Pulsar जैसा मोटरसाइकिल ब्रांड खड़ा किया जो नए युवाओं के बीच बहुत पसंद किया गया। कंपनी ने इसे ‘It’s A Boy’ टैगलाइन के साथ बाजार में उतारा।
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