नई दिल्ली. लोकसभा (Lok Sabha) में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और कांग्रेस सांसद (MP) प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) बुधवार को संभल के लिए निकले थे लेकिन उन्हें यूपी बॉर्डर (UP Border) पर ही रोक दिया गया और उनका काफिला आगे नहीं बढ़ सका. अब राहुल और प्रियंका के काफिले को वापस (returning) दिल्ली (Delhi) भेज दिया गया है. सभी कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता अब दिल्ली की तरफ लौट रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, अब राहुल और प्रियंका सहित सभी कांग्रेस सांसद पार्लियामेंट जाएंगे.
संभल जाने के लिए राहुल और प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल, केएल शर्मा, उज्जल रमन सिंह, तनुज पूनिया और इमरान मसूद साथ निकले थे. राहुल और प्रियंका, पिछले दिनों हुई हिंसा में मारे गए लोगों से मुलाकात करने के इरादे से जाना चाहते थे. हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने संभल में 10 दिसंबर तक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रवेश पर बैन है. कांग्रेस नेताओं के रवाना होने से पहले ही, दिल्ली के बॉर्डर पर पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद थी और बैरिकेडिंग की गई.
गाजीपुर बॉर्डर पर ही रोका गया काफिला
पुलिस प्रशासन ने राहुल और प्रियंका गांधी के काफिले को गाजीपुर बॉर्डर पर रोका दिया गया. दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर पुलिस के द्वारा रोके जाने के बाद राहुल गांधी ने कहा, “पुलिस की गाड़ी में ही हममें से पांच लोगों को संभल ले चलिए.” इसके बाद राहुल गांधी ने पुलिस से मांग की है कि मुझे अकेला संभल जाने की अनुमति दी जाए. उन्होंने पुलिस से कहा, “मैं आपकी गाड़ी में संभल जाऊंगा, ले चलिए मुझे.” राहुल की इस मांग पर भी प्रशासन ने अभी तक हामी नहीं भरी है और राहुल के काफिले को उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर रोक कर रखा गया है.
राहुल और प्रियंका के साथ संभल के लिए निकले इमरान मसूद ने कहा, “आप इसको जल्दी से खोलिए. आप लोगों को क्यों परेशान कर रहे हैं. अगर आप हमें नहीं जाने देना चाहते हैं, तो रोक लीजिए लेकिन लोगों का रास्ता नहीं बंद करिए.” वहीं, तनुज पूनिया ने कहा कि आज नहीं जाने देंगे, तो बाद में जाएंगे, 10 तारीख के बाद जाएंगे.
इससे पहले यूपी कांग्रेस चीफ अजय राय ने कहा था, “हम 5 लोग जाएंगे, 5 लोगों को तो परमिशन है. धारा 163 में परमिशन होती है कि 5 लोग जा सकते हैं. हम लोग सियासी रोटी नहीं सेंक रहे हैं, संभल में अत्याचार को दबाने का प्रयास है.
अमरोहा में भी लगा बैरिकेड
राहुल और प्रियंका के संभल का दौरा करने की संभावना के चलते बृजघाट, अमरोहा में भी पुलिस ने बैरिकेडिंग कर दी, जिसके बाद रोड पर जाम की समस्या बनने लगी.
अखिलेश यादव ने उठाया सवाल
राहुल गांधी को यूपी बॉर्डर पर पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद अखिलेश यादव ने कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार क्या छिपा रही है? सभी का ये मानना है कि संभल में जो भी हुआ है, वो प्रशासन की गलती थी. किसी भी दल के नेता को जाने नहीं दे रहे हैं. लोगों पर दबाव बना देंगे और सुबूत छिपा देंगे. उसके बाद जाने से क्या फायदा होगा.”
उन्होंने आगे कहा कि यूपी पुलिस का कमाल है, जो कारतूस की बात कर रहे है कि वो पाकिस्तान के हैं. पुलिस वो काम किसी को छिपाने के लिए कर सकती है. पुलिस न्याय नहीं पर लोगों को फंसाने में लगी रहती है.
वहीं, एसपी सांसद डिंपल यादव ने कहा कि प्रशासन की गलती से ही, संभल में घटना घटी थी. ये तो देश का मुद्दा है क्योंकि बीजेपी देश का माहौल बिगाड़ रही है.
‘यूपी दंगा मुक्त हो चुका है…’
संभल मुद्दे पर समाजवादी पार्टी और कांग्रस दोनों राजनीति कर रहे हैं. यूपी दंगा मुक्त हो चुका है, गुंडों को पता है कि यूपी में गुंडागर्दी नहीं चलेगी. सपा पहले ड्रामा कर रही थी, अब कांग्रेस नौटंकी कर रही है.
– कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा, “सरकार हमें क्यों रोक रही है? वे क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, वे किससे डर रहे हैं? विपक्ष के नेता होने के नाते राहुल गांधी को यह देखने का अधिकार है कि देश में क्या चल रहा है. संभल में जो घटना हुई, वह बेहद निंदनीय है, लोग मारे गए हैं, कौन जिम्मेदार है? अगर विपक्ष के नेता घटनास्थल पर नहीं जाएंगे, तो वे संसद में इस मुद्दे को कैसे रखेंगे? हम संभल के हालात देखना चाहते हैं, लेकिन सरकार हमें क्यों रोक रही है? क्या यह तानाशाही नहीं है? राहुल गांधी निश्चित रूप से संभल जाएंगे और पीड़ित परिवारों से मिलेंगे और उनकी आवाज उठाएंगे.”
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “राहुल और प्रियंका बुधवार को स्थिति का जायजा लेने और पीड़ितों से मिलने के लिए संभल पहुंच सकते हैं.”
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे ने कहा, “राहुल गांधी का संभल जाने का कार्यक्रम है. इस यात्रा का मकसद इलाके में सद्भाव और भाईचारा पैदा करना है. वे पीड़ित परिवारों से मुलाकात करेंगे. यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय, मैं और अन्य पार्टी सांसद उनके साथ जाएंगे. प्रियंका गांधी भी आ रही हैं.”
लोकल प्रशासन मुस्तैद
संभल के जिला मजिस्ट्रेट (SM) राजेंद्र पेंसिया ने कहा, “एक जांच आयोग शहर में हिंसा के पीछे की वजहों की जांच कर रहा है. उनके 10 दिसंबर तक यहां रहने और बड़ी तादाद में लोगों से मिलने की उम्मीद है. हम इस अवधि के दौरान बाहर से किसी भी राजनेता या सामाजिक कार्यकर्ता को यहां आने की छूट नहीं दे सकते. यह शांति और सद्भाव के हित में है.”
राहुल और प्रियंका के संभले जाने की खबर से स्थानीय प्रशासन पूरी तरह एक्टिव नजर आ रहा है. डीएम राजेंद्र पेंसिया ने राहुल गांधी के प्रस्तावित दौरे को लेकर बुलंदशहर, अमरोहा, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर के पुलिस कप्तानों और प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखकर उन्हें अपने जिले की सीमा पर ही रोकने के लिए कहा है. उन्होंने पड़ोसी जिलों के अधिकारियों से कहा है कि वे राहुल गांधी की संभल आने की गतिविधियों पर सतर्क निगाह रखें. जिला प्रशासन ने संभल में धारा 163 का हवाला दिया है, जिसके तहत किसी भी धार्मिक, राजनीतिक जुलूस, सार्वजनिक कार्यक्रम, एक स्थान पर एक साथ पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध है.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के संभल दौरे पर संभल के एसपी ने कहा, “सभी जनप्रतिनिधियों से 10 दिसंबर तक संभल न आने की गुजारिश की गई है. इस संबंध में उन्हें संदेश भेजा गया है. उन्हें संभल में 138 बीएनएस के क्रियान्वयन से भी अवगत कराया गया है. मुझे उम्मीद है कि वे यहां शांति बनाए रखने में हमारा सहयोग करेंगे.”
कांग्रेस का पलटवार
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने जिलाधिकारी के पत्र जारी करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “यह लोकतंत्र की हत्या है और पुलिस तंत्र का खुला दुरुपयोग है.”
संसद में उठा संभल का मुद्दा
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने संभल हिंसा का मुद्दा उठाते हुए संसद में कहा, “संभल में हजारों साल से लोग साथ में रहते आए हैं. वहां के भाईचारे को गोली मारने का काम हुआ है. अचानक जो ये घटना हुई है. ये सोची-समझी साजिश के तहत वेल प्लान्ड थी. वहां जो खुदाई या खुदाई की बात बीजेपी और उनके समर्थक करते हैं, ये खुदाई हमारे देश का सौहार्द, भाईचारा और गंगा-जमुनी तहजीब को खो देगा. संभल की घटना को सोची-समझी साजिश बताते हुए कहा कि ये सरकार संविधान को नहीं मानती है.”
अखिलेश यादव ने कहा, “संभल का माहौल बिगाड़ने में याचिका दायर करने वाले लोगों के साथ पुलिस के लोग भी जिम्मेदार हैं. इनके खिलाफ हत्या का मामला चलाना चाहिए, जिससे लोगों को इंसाफ मिल सके और आने वाले समय में कोई अधिकारी ऐसा करने की हिमाकत न कर सके. उन्होंने आगे कहा कि ये लड़ाई दिल्ली और लखनऊ की है. कभी दिल्ली पहुंचे थे जिस रास्ते पर, उसी रास्ते पर लखनऊ वाले पहुंचना चाहते हैं.
संभल नहीं जा सका था SP का डेलिगेशन
इससे पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के निर्देश पर एसपी का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल संभल का दौरा करने जाने वाला था लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी थी.
इसके बाद अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “प्रतिबंध लगाना बीजेपी सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है. ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फसाद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता. बीजेपी जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देते हैं, वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साजिशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए, सच्ची कार्रवाई करके बर्खास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुकदमा भी चलना चाहिए. बीजेपी हार चुकी है.”
सोमवार को यूपी कांग्रेस नेताओं की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम भी संभल जाना चाह रही थी लेकिन पुलिस ने उन्हें लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय पर ही रोक दिया था.
क्या है पूरा मामला?
24 नवंबर को संभल में जामा मस्जिद के बाहर स्थानीय लोगों की पुलिस के साथ झड़प हो गई थी, जब कोर्ट के आदेश के बाद संभल की जामा मस्जिद का सर्वे करने ASI की एक टीम पहुंची थी. इस घटना में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे. हिंसा के बाद चार दिनों तक बाजार बंद रहे और इलाके में तनाव का माहौल बना रहा. संभल प्रशासन ने जिले में हालात सामान्य करने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है. पुलिस उपद्रवियों की पहचान में जुटी है. अभी तक 300 से ज्यादा आरोपियों के पोस्टर जारी किए जा चुके हैं.
दरअसल, हिंदू पक्ष ने कोर्ट में याचिका दाखिल करके दावा किया था कि संभल की शाही जामा मस्जिद, श्री हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन का दावा है कि बाबर ने यहां मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाया था. हिंदू पक्ष की इन दलीलों पर संभल की अदालत ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था, जिसके बाद से ही इलाके में बवाल मचा हुआ है.
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