भोपाल। मप्र और उप्र के बुंदलखंड के विकास के लिए बहुप्रतीक्षित केन-बेतवा परियोजना में पानी के बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद के हालात बन गए हैं। उप्र की ओर से ज्यादा पानी देने की मंाग पर अड़े रहने और मप्र के इसके लिए राजी नहीं होने की वजह से अभी तक परियोजना को हरी झंडी नहीं मिल पाई है। ऐसे में अब राज्यों के बीच जल बंटवारे का विवाद सुलझाने के लिए केंद्र ने दखल देना शुरू कर दिया है। अब जल बंटवारे पर एक बार फिर 11 जनवरी को बैठक होगी। जिसमें मप्र, उप्र और केंद्रीय जल संसाधन विभाग के अधिकारी मौजूद रहेेंगे। दरअसल केंद्र- बेतवा परियोजना से 930 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी उत्तर प्रदेश को देने से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दो टूक मनाही के बाद फिर बैठकों को दौर शुरू हो गया है। केंद्रीय जल संसाधन विभाग के अधिकारी 11 जनवरी को भोपाल आ रहे हैं। वे प्रदेश के जल संसाधन मंत्री और अधिकारियों से बात कर उत्तर प्रदेश जाएंगे। परियोजना से उत्तर प्रदेश रबी सीजन के लिए 930 एमसीएम पानी मांग रहा है, जबकि मध्यप्रदेश 2005 में हुए अनुबंध की शर्तों के तहत 700 एमसीएम पानी ही देना चाहता है। पिछले महीने मुख्यमंत्री चौहान ने परियोजना की समीक्षा करते हुए साफ कर दिया है कि उत्तर प्रदेश को उतना ही पानी दिया जाएगा, जितना अनुबंध में तय हुआ था। उन्होंने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से बैठक के दौरान ही फोन पर बात की थी। शेखावत ने भरोसा भी जताया था कि पानी के बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों का शीर्ष नेतृत्व बैठक कर आपसी सहमति से हल निकालेगा और परियोजना का काम जल्द शुरू होगा। उसके बाद पहली बार केंद्रीय अधिकारियों का दल भोपाल आ रहा है।
पानी की जरूरत पर फिर होगी बात
सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय अधिकारी दोनों राज्यों की पानी की जरूरत पर फिर से बात करेंगे। तकनीकी रूप से किसे कितने पानी की जरूरत है, उस पर भी बात होगी। इसे देखते हुए प्रदेश के जल संसाधन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।
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