जबलपुर। आज रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय पं कुंजीलाल दुबे सभागार में विश्वविद्यालय का 34वां दीक्षांत समारोह भव्यता के साथ मनाया गया। दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव अभ्यार्थियों को शोध उपाधि और स्वर्ण पदक का वितरण करने के लिए पहुंचे। वहीं राज्यपाल मंगुभाई पटैल कार्यक्रम में ऑनलाइन वर्चुअली रूप से शामिल हुए। अपने उद्बोधन में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि शिक्षण संस्थान एवं विश्वविद्यालय समाज की मौद्धिक संपदा के संवाहकह से समाज की श्रेष्ठता एवं ऊर्जा निर्मित होती है। यहां से सुशिक्षित होने वाले विद्यार्थी अपने ज्ञान से समाज को न केवल दिशा प्रदान करते है अपितु नैतिक मूल्यों से उसको नियंत्रित करने की भी क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा कि आज का युग वैश्विक प्रतिस्पर्धा का युग है। इस युग में वहीं अग्रगामी हो पाता है जो प्रतिमें खरा उतरता है। वहीं उत्कृष्टता का निर्माण कर पाता है जो एक और अपनी महान परंपराओं के साथ-साथ नई-नई तकनीकों का भी समन्वय कर पाने में सक्षम होता है। मैं समझता हूँ कि इस दृष्टि से हमारे देश एवं प्रदेश के विश्वविद्यालय तथा उच्च शिक्षण संस्थान इस दायित्व का निष्ठापूर्वक निर्वहन कर रहे हैं। दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय की क्षमताओं एवं ज्ञान अर्जन का ऐसा समारोह होता है जिसमें विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की बौद्धिक उपलब्धियों को प्रदर्शित एवं प्रोत्साहितकरने के का अवसर मिलता है।
पत्नी के मरणोपरांत पति को उपाधि
दीक्षांत समारोह में संजीव उपाध्याय एडवोकेट अपनी पत्नी आराधना उपाध्याय 51 साल के देहांत के पश्चात खुद शोध उपाधि लेने आए। आराधना की एजुकेशन में उपाधि मिल रही है। पहली बार प्रशासन ने उन्हें सम्मान लेने की अनुमति ली है। पिछले माह 17 नवंबर 2022 को आराधना की ब्रेन हेमरेज की वजह से मौत हुई थी। पति संजीव ने बताया की आराधना की स्वाहिश थी की दीक्षांत समारोह में उन्हें उपाधि मिले। आराधना इससे पहले वनस्पति शास्त्र 1998 में शोध उपाधि ले चुकी है। दोनो पैर से दिव्यांग कटनी निवासी शैतान सिंह भी शोध उपाधि लेने आए है। इन्हें राजनीतिशास्त्र विषय में शोधकार्य के लिए उपाधि दी जा रही है। दिव्यांग होने की वजह से शैतान सिंह को व्हीलचेयर पर मंच के पीछे से विशेष रूप से ले जाया जाएगा।
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