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स्वीडन में कुरान जलाने वाले सलवान को सजा मिलने से पहले ही गोली मारकर हत्या

  • January 31, 2025

    नई दिल्‍ली। स्वीडन में कुरान जलाने (Quran burning in Sweden) वाले सलवान मोमिका की गोली मारकर हत्या (salwan shot dead) कर दी गई है. सलवान इस्लाम धर्म (islam religion) के आलोचक थे. जानकारी के मुताबिक 38 वर्षीय सलवान को बुधवार रात स्टॉकहोम के पास सॉडेटेलिए इलाके में गोली मारी गई थी. अब सवाल ये है कि अगर भारत में कोई व्यक्ति किसी धार्मिक किताब को जलाता है, तो उसे क्या सजा दी जाएगी. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.

    कौन थे मोमिका?
    बता दें मोमिका ने खुद को इराक में एक ईसाई मिलिशिया के प्रमुख के रूप में पेश किया था. उनका संगठन इमाम अली ब्रिगेड्स के अंतर्गत आता है. जानकारी के मुताबिक ये संगठन 2014 में बनाया गया था और इस पर वॉर क्राइम के आरोप लगते रहे हैं. सलवान मोमिका ने 2017 में इराकी शहर मोसुल के बाहरी इलाके में अपना सशस्त्र समूह भी बनाया था।



    क्या है मामला?
    सलवान मोमिका दुनियाभर में चर्चा में तब आए थे, जब उन्होंने साल 2023 में ईद के मौके पर स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की सबसे बड़ी मस्जिद के सामने मुस्लिम धार्मिक ग्रंथ कुरान का अपमान किया और उसे जलाया था. जिसके बाद बीते बुधवार रात 38 वर्षीय मोमिका को स्टॉकहोम के पास सॉडेटेलिए इलाके में गोली मारी गई है. दरअसल सलवान इस्लाम धर्म के आलोचक थे.

    भारत में क्या मिलेगी सजा?
    बता दें कि भारत में किसी भी धर्म की किताब को जलाने या धर्म का अपमान करने पर कड़ी सजा मिलती है. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 के तहत किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल या पवित्र वस्तु को नष्ट करने पर सज़ा हो सकती है. इसके अलावा धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए किसी भी तरह का भाषण, लेखन, या संकेत देने पर भी सज़ा हो सकती है.

    कितने साल की सजा?
    अब सवाल ये है कि भारत में धर्म के खिलाफ किसी भी तरह का कृत्य करने पर क्या सजा मिलती है. बता दें कि आईपीसी की धारा 295 के तहत किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल या पवित्र वस्तु को नष्ट करने पर दो साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. वहीं आईपीसी की धारा 295A के तहत किसी वर्ग के धार्मिक विश्वासों का अपमान करने के लिए जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. वहीं आईपीसी की धारा 298 के तहत धार्मिक स्थलों, पूजा स्थलों, या धार्मिक प्रतीकों के अपमान या नुकसान पर दो साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है.

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