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Remedicivir Injection के वितरण में ड्रग इंस्पेक्टरों की भूमिका पर उठ रहे सवाल

April 27, 2021

  • भोपाल के बाद ग्वालियर में भी लगे आरोप

भोपाल। प्रदेश (Pradesh) में रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedicivir Injection) की कालाबाजारी (Black Marketing) से लेकर सरकारी वितरण में जारी अव्यवस्था में ड्रग इंस्पेक्टरों (Drug inspectors) की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। ग्वालियर (Gwalior) में इंजेक्टशन वितरण टीम (Injections Delivery Team) में शामिल डॉक्टर (Doctor) ने सवाल खड़े किए हैं। जिला प्रशासन ने इंजेक्शन वितरण (Injection Delivery) के लिए ड्रग इंस्पेक्टर दिलीप अग्रवाल (Drug Inspector Dilip Agarwal) के नेतृत्व में दो सदस्यीय टीम हॉस्पीटल को वितरित करने बना रखी है। इसके बाद भी आम लोग सीधे डॉक्टर के पर्चे लेकर ड्रग इंस्पेक्टर (Drug Inspector) के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedicivir Injection) के लिए आ रहे थे, लेकिन यह जांचने का कोई सिस्टम नहीं था कि जिस अस्पताल को इंजेक्शन (Injection) दिए गए, वहां किस मरीज को लगे।टीम में शामिल डॉक्टर नागेेंद्र ऋषिश्वर (Dr. Nagendra Rishishwar) ने इस सिस्टम पर सवाल खड़े किए और ड्रग इंस्पेक्टर (Drug Inspector) को भौतिक सत्यापन के लिए बोला, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद डॉ. ऋषिश्वर ने खुद को इस वितरण की व्यवस्था से अलग करने सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा (CMHO Dr. Manish Sharma) को बीमारी के बहाने वाला पत्र लिख दिया है। इससे पहले भोपाल में भी ड्रग इंस्पेक्टन (Drug inspector) की भूमिका पर सवाल उठे थे। ड्रग इंस्पेक्टर (Drug inspector) को लेकर सोशल मीडिया (Social Media) पर संदेश वायरल हुआ कि उन्होंने रेमडेसिविर (Remedicivir) के इंजेक्टशन कहीं गायब करा दिए हैं। इसके बाद औषधि नियंत्रक ने सफाई दी कि ड्रग इंस्पेक्टर (Drug Inspector)  कोरेाना संक्रमित हैं। हालांकि भोपाल में अभी तक सरकार नियंत्रण में सप्लाई हो रहे इंजेक्टनों का हिसाब सामने नहीं आया है।

वितरण के लिए हो चुके हैं ये प्रयोग
रेमडेसिविर के इंजेक्टन वितरण को लेकर सरकार अलग-अलग प्रयोग कर चुकी है, लेकिन न तो कालाबाजारी रुक रही है और न ही वितरण व्यवस्था पारदर्शी हो पाई है। अप्रैल के शुरुआत में इंजेक्शन की मारामारी के चलते प्रशासन ने ड्रग इंस्पेक्टर को एजेंसी पर बिठाकर इंजेक्शन बंटवाए। फिर भी संक्रमित के परिजन परेशान हुए। संकट बढऩे पर प्रशासन ने वाट्सएप नंबर पर डिमांड भेजने का फार्मूला दिया, लेकिन उसके भी प्रभावी नतीजे देखने को नहीं मिले। अब प्रशासन ने कुछ अस्पतालों में मरीजों की जानकारी के आधार पर सीधे इंजेक्शन पहुंचवाए, फिर भी कई को इंजेक्शन नहीं मिल रहा है।

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