नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) 17 अक्टूबर को होने वाले पार्टी अध्यक्ष पद (Congress President Election) के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। दिग्विजय सिंह के चुनाव लड़ने की खबर ऐसे समय में आई है जब अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की उम्मीदवारी पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है। दरअसल राजस्थान कांग्रेस में मचे घमासान (Ruckus in Rajasthan Congress) के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार देर रात दिल्ली पहुंच गए। गहलोत के अलावा दिग्विजय सिंह के भी बुधवार रात ही दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि दिग्विजय सिंह गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress President Sonia Gandhi) से मुलाकात कर सकते हैं। दिग्विजय इस समय राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा के लिए केरल में हैं।
दिग्विजय बनाम थरूर की ओर बढ़ रहा कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ऐसे समय नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं जब राजस्थान के राजनीतिक संकट के चलते मुख्यमंत्री गहलोत के नामांकन पत्र दाखिल करने की संभावना पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। लोकसभा सदस्य शशि थरूर पहले ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं और वह 30 सितंबर को अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करेंगे। गहलोत से आलाकमान की नाखुशी के चलते कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव अब दिग्विजय बनाम थरूर की ओर जाता नजर आ रहा है। 75 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी अशोक गहलोत की तरह गांधी परिवार के लंबे समय से वफादार हैं। ऐसे में गांधी परिवार गहलोत से समर्थन वापस लेकर दिग्विजय सिंह को मैदान में आगे कर सकता है।
दिल्ली दरबार में गहलोत की हाजिरी का इंतजार
तमाम अटकलों के बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत बुधवार रात दिल्ली के लिए रवाना हो गए। राजस्थान के मुख्यमंत्री पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की दौड़ में सबसे पसंदीदा थे। लेकिन उनके वफादारों ने राजस्थान में बगावत कर दी जिससे पार्टी आलाकमान नाराज हो गया। अब सब कुछ गहलोत की दिल्ली दरबार में हाजिरी से तय होगा। गहलोत गुरुवार को सोनिया गांधी से मिल सकते हैं। यह मुलाकात ही आगे का रास्ता तय कर सकती है। सोनिया और गहलोत की मीटिंग के बाद तय होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मैदान में गहलोत उतरेंगे या दिग्विजय सिंह!
कांग्रेस की राजस्थान इकाई में उत्पन्न राजनीतिक संकट के बीच पार्टी पर्यवेक्षकों ने ‘घोर अनुशासनहीनता के लिए गहलोत के करीबी तीन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की थी। इसके कुछ देर बाद ही पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति की ओर से इन्हें ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर दिए गए। इस घटनाक्रम के बाद अब गहलोत सोनिया से मुलाकात कर अपना पक्ष रखना चाहते हैं। राजस्थान के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने जयपुर में मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री नेतृत्व और संगठन के एक अभिभावक के तौर पर 102 विधायकों की भावना को व्यक्त करने के लिए दिल्ली जा रहे हैं। मुख्यमंत्री अभी इस्तीफा नहीं दे रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि गहलोत पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करेंगे या नहीं, यह आलाकमान के साथ बैठक के बाद ही स्पष्ट होगा। वैसे, हाल ही में गहलोत ने कहा था कि वह पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करेंगे। हालांकि राज्य के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम से उनकी इस उम्मीदवारी पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
राजस्थान कांग्रेस में क्या हुआ?
रविवार की दोपहर, जैसे ही राजस्थान में पायलट को मुख्यमंत्री पद सौंपने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने अपना इरादा दिखाया वैसे ही बवाल हो गया। सीएम गहलोत के वफादार विधायक अपना विरोध दर्ज कराने के लिए जुट गए। विधायकों ने कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल के अस्पताल रोड आवास में अलग से ‘बैठक’ शुरू कर दी जिसे पार्टी ने ‘घोर अनुशासनहीनता’ माना। धारीवाल के घर विधायक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंपने पर सहमत हुए। उन्होंने खुलकर पायलट के नाम पर अपना विरोध जताया।
‘आंतरिक राजनीति में चलता रहता है’
दिल्ली पहुंचने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सब ठीक है। कल कांग्रेस की (अंतरिम) अध्यक्षा सोनिया गांधी से मिलूंगा उसके बाद बात करूंगा। राहुल गांधी महंगाई, बेरोज़गारी, तानाशाही को लेकर निकले हैं। किसी को नहीं पता देश किस दिशा में जा रहा है। यह घर की बातें है और आंतरिक राजनीति में चलता रहता है।
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