• img-fluid

    कतर: भारत के आठ पूर्व नौसैनिकों की फांसी की सजा पर रोक

  • December 29, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। कतर की एक अदालत (Qatar court) ने जासूसी के एक कथित मामले (An alleged case of espionage) में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों (Eight former Indian Navy personnel) को दी गई मौत की सजा पर रोक लगा (Death penalty banned) दी है, इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी है। मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि कतर की अपीलीय अदालत के आज के फैसले पर गौर किया गया है, जिसमें सजा कम कर दी गई है। बता दें जासूसी के एक कथित मामले में गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को कतर की अदालत ने अक्तूबर में मौत की सजा दी थी। दोहा स्थित दहरा ग्लोबल के सभी कर्मचारियों, भारतीय नागरिकों को अगस्त 2022 में हिरासत में ले लिया गया था। भारत ने पिछले महीने मौत की सजा के खिलाफ कतर स्थित अपीली अदालत का दरवाजा खटखटाया था।


    कानूनी लड़ाई जारी रहेगी- विदेश मंत्रालय
    मंत्रालय ने बताया कि कतर मे हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी उनके परिवार के सदस्यों के साथ आज अपील अदालत में मौजूद थे। मामले की शुरुआत से ही हम उनके साथ खड़े हैं। हम सभी उन्हें कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। साथ ही कहा कि इस मामले को कतर के अधिकारियों के समक्ष उठाया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि अभी विस्तृत फैसले का इंतजार है। इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय और संवेदनशील प्रकृति के कारण इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। अगले कदम पर फैसला लेने के लिए कानूनी टीम के साथ हम लगातार परिवार के सदस्यों के साथ संपर्क में हैं।

    मोदी और कतर के अमीर की भेंट के बाद आया फैसला
    अपीलीय कोर्ट का यह फैसला इस मायने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी के बीच दुबई में कॉप-28 सम्मेलन से इतर हुई मुलाकात के चार सप्ताह के अंदर सुनाया गया है। एक दिसंबर को हुई भेंट के बाद पीएम मोदी ने कहा था कि उन्होंने कतर में रह रहे भारतीय समुदाय के बारे में अमीर से बात की है। माना जाता है कि इस भेंट में इन नौसैनिकों का मुद्दा भी उठा था।

    सजा काटने के लिए हो सकती है वतन वापसी
    उम्मीद है कि भारत इन आठ पूर्व नौसैनिकों की वतन वापसी की मांग कर सकता है। दरअसल, भारत और कतर के लिए बीच दिसंबर, 2014 में कैदियों की अदला-बदली को लेकर संधि हुई थी। इसमें दोनों देशों की एक-दूसरे की जेलों में बंद कैदियों को बाकी बची सजा काटने के लिए उनके देश भेजने का प्रावधान है। संभावना है कि इस मामले में भी ऐसा हो सकता है।

    अक्तूबर में सुनाई थी सजा
    पूर्व नौसैनिकों को कतर की निचली अदालत ने अक्तूबर में मौत की सजा सुनाई थी। केंद्र सरकार इससे हैरान रह गई थी क्योंकि कतर ने पहले इस बाबत कोई जानकारी नहीं दी थी। भारत ने फैसले के खिलाफ अपील की। कतर प्राकृतिक गैस का भारत को बड़ा आपूर्तिकर्ता है। वहां करीब आठ लाख भारतीय काम करते हैं। दोनों देशों के बीच हमेशा से बेहतर रिश्ते रहे हैं।

    कौन हैं ये पूर्व नौसेनिक?
    जिन लोगों के खिलाफ फैसला आया है, उनमें सेवानिवृत्त कमांडर पूर्णेंदु तिवारी हैं। पूर्णेंदु एक भारतीय प्रवासी हैं जिन्हें 2019 में प्रवासी भारती सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। दहरा कंपनी की वेबसाइट (अब मौजूद नहीं) पर दर्ज जानकारी के अनुसार, पूर्णंदू तिवारी भारतीय नौसेना में कई बड़े जहाजों की कमान संभाल चुके हैं।

    एक अन्य कमांडर सुगुणाकर पकाला का भारतीय नौसेना में बेहतरीन सफर रहा है जो अपने सामाजिक काम के लिए भी जाने जाते हैं। यही कारण है उनके परिजनों और दोस्तों का फैसले पर यकीन नहीं हो रहा है। सुगुणाकर ने विजयनगरम के कोरुकोंडा सैनिक स्कूल और फिर विशाखापत्तनम स्टील प्लांट में केंद्रीय विद्यालय में अपनी स्कूली पढ़ाई की। सुगुणाकर 18 साल की उम्र में नौसेना में शामिल हुए थे। करियर के दौरान उन्होंने विभिन्न इकाइयों और जहाजों पर सेवा के साथ नौसेना इंजीनियरिंग कोर में काम किया। नौसैनिक के रूप में सुगुणाकर ने मुंबई, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और विशाखापत्तनम में सेवाएं दीं। सुगुणाकर 2013 में नौसेना से सेवानिवृत्त हुए और बाद में अलदहरा कंपनी से जुड़ गए। पिछले साल अपनी गिरफ्तारी के समय सुगुणाकर कंपनी के निदेशक के रूप में कार्यरत थे।

    स्वर्ण पदक विजेता कैप्टन भी शामिल
    अमित नागपाल नौसेना में कमांडर रहे हैं। अमित अपनी सेवा के दौरान संचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध कौशल के लिए जाने जाते रहे हैं। नौसेना में कमांड रहे संजीव गुप्ता की तोपखाना से जुड़े मामलों में महारत थी। सौरभ वशिष्ठ नौसेना में कैप्टन के ओहदे पर रहे हैं। अपनी सेवा के दौरान सौरभ ने बतौर तकनीकी अधिकारी काम किया है। सजा पाने वाले बीरेंद्र कुमार वर्मा नौसेना में कैप्टन रहे हैं। बीरेंद्र कुमार को नेविगेशन और डायरेक्शन का जानकार माना जाता रहा है। कैप्टन नवतेज गिल के पिता सेना में अधिकारी रहे हैं। चंडीगढ़ से आने वाले नवतेज को राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें सर्वश्रेष्ठ कैडेट के लिए दिया गया था। वहीं अंतिम सदस्य रागेश गोपाकुमार की बात करें, तो उन्होंने नौसेना में बतौर नाविक काम किया।

    अगस्त 2022 में पकड़े गए थे
    आठों पूर्व नौसैनिक दोहा स्थित अल दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजिज में काम करते थे। इन्हें अगस्त, 2022 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, आरोप कभी सार्वजनिक नहीं किए गए। सूत्रों का कहना है कि सभी पर पनडुब्बी परियोजना की जासूसी करने का आरोप है। एक साल से अधिक जेल में रहने के बाद इस वर्ष अक्तूबर में प्राथमिक सुनवाई कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी। अल दाहरा ग्लोबल कंपनी कतर के सैन्य बलों व अन्य सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण व अन्य सेवाएं मुहैया कराती है।

    भाजपा ने फैसले को मोदी सरकार की कूटनीतिक विजय बताया है। भाजपा महासचिव तरुण चुघ ने कहा, इस घटनाक्रम ने फिर दिखाया है कि पूरी दुनिया पीएम मोदी के नेतृत्व में भारतीय विदेश नीति को मान्यता देती है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने लिखा, फैसले पर पूरे देश के साथ कांग्रेस ने भी राहत की सांस ली है। उम्मीद करते हैं कि अब जेल की सजा भी खत्म की जाएगी और सभी रिहा किए जाएंगे।

    Share:

    UAE: PM मोदी अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का करेंगे उद्घाटन, न्योता किया स्वीकार

    Fri Dec 29 , 2023
    नई दिल्ली (New Delhi)। संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates- UAE) की राजधानी अबू धाबी (Capital Abu Dhabi) में पहला भव्य हिंदू मंदिर (first grand Hindu temple) खुलने जा रहा है. इस हिंदू मंदिर का उद्घाटन (Inauguration of Hindu temple.) अगले साल 14 फरवरी को होगा. इस हिंदू मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    सोमवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved