नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार साल में कुल 24 एकादशी की तिथि (Ekadashi Tithi) पड़ती है. इसमें से कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi Tithi) का अलग-अलग महत्व है. इन्हें अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi Tithi) 8 अगस्त दिन सोमवार को पड़ रही है. इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. पुत्रदा एकादशी का व्रत (Putrada Ekadashi Vrat 2022) संतान प्राप्त की अभिलाषा से रखा जाता है. संतान के अच्छे स्वास्थ्य और अच्छे भविष्य को लेकर भी इस व्रत को किया जाता है.
पुत्रदा एकादशी की पौराणिक कथा (Putrada Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार द्वापर युग में महिष्मति नाम के राज्य पर महाजीत नाम का एक राजा राज्य करता था. इस राजा के पास धन और वैभव की कोई कमी नहीं थी. लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी जिसके कारण राजा हमेशा परेशान रहता था. राजा अपनी प्रजा से बहुत प्रेम करता था और उनका ध्यान रखता था लेकिन निसंतान होने के कारण राजा को निराशा होने लगी. तब राजा ने मुनियों की शरण ली.
इसके बाद राजा को एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) के बारे में बताया गया. महाजीत राजा ने विधिपूर्वक एकादशी का व्रत (Putrada Ekadashi) किया और नियम से व्रत का पारण भी किया. इसके बाद राजा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. इसलिए इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. विधि विधान से पुत्रदा एकादशी का व्रत (Putrada Ekadashi Vrat 2022) करने पर भगवान विष्णु की कृपा से संतान की प्राप्ति होती है.
नोट– इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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