नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है. हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में दो एकादशी तिथि पड़ती है. सभी एकादशी व्रत को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) का व्रत साल में दो बार रखा जाता है. पहली पुत्रदा एकादशी पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन और दूसरी पुत्रदा एकादशी व्रत सावन माह (Sawan month) के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन रखा जाता है. इस साल यह व्रत सोमवार 08 अगस्त 2022 को रखा जाएगा. पुत्रदा एकादशी के व्रत से संतान की प्राप्ति होती है और संतान (children) के सारे कष्ट दूर होते हैं. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व के बारे में..
पुत्रदा एकादशी व्रत मुहूर्त
सावन एकादशी तिथि प्रारंभ- शुक्रवार, 07 अगस्त 2022, रात्रि 11:50 से
सावन एकादशी तिथि समाप्त- शनिवार, 08 अगस्त 2022, रात्रि 9 बजे तक
हिंदू धर्म में उदयातिथि का विशेष महत्व है. पूजा-पाठ, व्रत आदि से जुड़े नियम उदयातिथि के आधार पर ही किए जाते हैं. उदयातिथि के अनुसार 08 अगस्त को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
कैसे करें पुत्रदा एकादशी व्रत?
एकादशी व्रत के नियम दशमी तिथि से ही शुरू हो जाते हैं. एकादशी व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करना चाहिए. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहने. इसके बाद पूजा के मंदिर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें.
पूजा में धूप, दीप, फूल-माला, अक्षत्, रोली और नैवेद्य समेत 16 सामग्री भगवान को चढ़ाएं. भगवान विष्णु को पूजा में तुलसी का पत्ता जरूर अर्पित करें. भगवान विष्णु को तुलसी पत्ता अतिप्रिय होता है और इसके बिना उनकी कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है. इसके बाद पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और आरती करें.
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं हम इनकी सत्यता या जांच की पुष्टि का दावा नहीं करते हैं. इन्हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले.
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