मॉस्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से पहली बार रूस में लामबंदी करने का आदेश दिया है. उन्होंने पश्चिम को चेतावनी दी कि अगर उसने ‘परमाणु ब्लैकमेल’ किया तो मास्को अपने हथियारों के विशाल भंडार की पूरी ताकत से जवाब देगा. पुतिन ने राष्ट्र के नाम एक टेलीविजन संबोधन में कहा कि ‘अगर हमारे देश की क्षेत्रीय अखंडता को खतरा पैदा होता है, तो हम अपने लोगों की रक्षा के लिए सभी उपलब्ध साधनों का उपयोग करेंगे. यह कोई झांसा नहीं है. रूस के पास ‘जवाब देने के लिए बहुत सारे हथियार’ हैं.
न्यूज एजेंसी रायटर्स की एक खबर में कहा गया कि रूस के रक्षा मंत्री ने कहा है कि आंशिक लामबंदी में 300,000 रिजर्व फोर्स को बुलाया जाएगा. ये उन लोगों पर लागू किया जाएगा जो पहले सेना में रह चुके हैं. पुतिन की इस आंशिक लामबंदी को यूक्रेन की जंग में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा सकता है. क्योंकि ये ऐसे समय की गई है, जब यूक्रेनी सेना के जवाबी हमले से लड़ते हुए रूस की सेना पीछे हटने पर मजबूर हुई है. उसके कब्जे से कुछ इलाके निकल भी गए हैं.
पुतिन के इस कदम के बारे में अपनी राय जताते हुए ब्रिटिश विदेश विभाग ने कहा कि साफ तौर पर अगर कुछ ऐसा है तो इसे हमें बहुत गंभीरता से लेना चाहिए. क्योंकि वास्तव में यह हमले को तेज करना है. जबकि यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार मिखाइलो पोडोलीक ने रायटर्स से कहा कि रूस की लामबंदी एक अनुमानित कदम था. जो बेहद अलोकप्रिय साबित होगा. ये इस बात को साफ कर देगा कि जंग अब मॉस्को की योजना के हिसाब से नहीं चल रही है.
जबकि पुतिन ने कहा कि रूस के 20 लाख सैनिक रिजर्व में से आंशिक लामबंदी रूस और उसके इलाकों की रक्षा के लिए है. क्योंकि पश्चिमी देश यूक्रेन में शांति नहीं चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वाशिंगटन, लंदन, ब्रुसेल्स ‘हमारे देश को पूरी तरह से लूटने’ के उद्देश्य से कीव को हमारे इलाके में सैन्य अभियान चलाने के लिए प्रेरित कर रहे थे. पुतिन ने यूक्रेन के जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र का हवाला देते हुए कहा कि परमाणु ब्लैकमेल का भी इस्तेमाल किया गया. रूस और यूक्रेन दोनों ने एक दूसरे पर लड़ाई में परमाणु संयंत्र को खतरे में डालने का आरोप लगाया है.
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