भोपाल (Bhopal) । हजारों पत्रकारों के पीपी सर अब नहीं रहे। सोमवार देर रात हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया। हार्ट अटैक आने के बाद उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की कोशिश की लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। अंतिम संस्कार आज 12.30 बजे भोपाल के भदभदा घाट पर किया जाएगा। पीपी सर के निधन से पूरा पत्रकारिता जगत सदमे में है। उनके पढ़ाए हुए छात्र आज देश दुनिया के सभी प्रमुख पत्रकारिता संस्थानों में अहम पदों पर हैं। कई ने प्रशासकीय सेवा भी ज्वाइन की हुई है।
पुष्पेंद्र पाल सिंह को शायद ही कोई उनके पूरे नाम से जानता या बुलाता था। पुष्पेंद्र पाल सिंह बच्चों की मदद के लिए हमेशा खड़े रहते थे। कई बार उन्होंने विद्यार्थी के पास फीस के पैसे नहीं होने पर उन्होंने फीस भी भरी है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई छात्र रात को 12 बजे इन्हें फोन करके कह दे कि मैंने आज खाना नहीं खाया तो वो खुद खाना लेकर छात्र के पास पहुंच जाते थे।
पत्रकारिता विभाग के थे विभागाध्यक्ष
पीपी सर भोपाल स्थित माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवम संचार विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके हैं। 2015 में वे मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग में मुख्यमंत्री के ओएसडी नियुक्त हुए। उनके पास मध्य प्रदेश सरकार के सभी प्रकाशन की जिम्मेदारी थी। वे सरकार के रोजगार अखबार रोजगार और निर्माण के संपादक भी थे। पीपी सर का ऑफिस भोपाल के मध्य प्रदेश माध्यम में था। उनके ऑफिस में हमेशा लोगों का रेला लगा रहता था। इसमें सिर्फ छात्र ही नहीं बल्कि देश दुनिया के वरिष्ठ पत्रकार-संपादक, फिल्म सेलिब्रिटी, एनजीओ से जुड़े लोग, हकों की आवाज उठाने वाले लोग भी शामिल होते थे।
पीपी सर सबको सही सुझाव देते थे और हर संभव मदद करते थे। उनकी प्रसिद्धि का आलम यह था कि हर साल 8 अक्टूबर को उनके जन्मदिन पर देश भर से छात्रों- छात्राओं का जमावड़ा उनके गुलमोहर कॉलोनी स्थित घर पर होता था। यही कारण है कि आज उनके निधन पर पत्रकारिता जगत में शोक और दुख का माहौल है।
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