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पंजाब: भाखड़ा और पोंग डैम से छोड़ा पानी, 5 जिलों के 25 गांव जलमग्न, 3000 लोगों का रिस्क्यू

August 17, 2023

चंडीगढ़ (Chandigarh)। बुधवार को भाखड़ा और पोंग डैम (Bhakra and Pong Dam) से अतिरिक्त पानी छोड़े (release excess water) जाने से पंजाब के पांच जिलों (Punjab five districts) (गुरदासपुर, अमृतसर, होशियारपुर, कपूरथला और तरनतारन) के कई गांव जलमग्न (Many villages submerged) हो गए हैं। एक महीने में दूसरी बार बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए प्रशासन ने 3,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। पोंग बांध से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के बाद होशियारपुर जिले के मुकेरियां और दासुया उपमंडलों के 25 बेट क्षेत्र के गांवों से अधिकतम 2,500 लोगों को निकाला गया। बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित महताबपुर गांव के निवासियों ने कहा कि उनके घर 4 फीट पानी में डूबे हुए हैं।

सतलज नदी (Sutlej river) पर भाखड़ा बांध और ब्यास नदी (Beas river) पर पोंग बांध बने हैं। ये दोनों हिमाचल प्रदेश में हैं। अपने-अपने जलग्रहण क्षेत्रों में हो रही लगातार भारी बारिश के बाद दोनों डैम लबालब हैं। दोनों बांधों का प्रबंधन भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) द्वारा किया जाता है। बीबीएमबी सचिव सतीश सिंगला ने कहा कि भाखड़ा और पोंग बांधों में जल स्तर बुधवार को क्रमश: 1,677 फीट और 1,398 फीट था।


बीबीएमबी सचिव ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण भाखड़ा बांध में 1.93 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह हुआ है, जबकि पोंग डैम में सात लाख क्यूसेक से अधिक पानी आया है। उन्होंने बताया कि दोनों बांधों के गेट दो दिन पहले ही खोल दिए गए थे, जिसमें पोंग बांध से 1.43 लाख क्यूसेक और भाखड़ा बांध से लगभग 80,000 क्यूसेक पानी बह रहा था।

पोंग डैम से छोड़े गए अतिरिक्त पानी ने होशियारपुर जिले के 25 गांवों को जलमग्न कर दिया है। मुकेरियां और दासुया उपमंडलों के कई गांवों में जल प्रलय सा दृश्य है। बेट इलाके में स्थित करीब 25 गांव बाढ़ के पानी से प्रभावित हुए हैं। जिला प्रशासन ने लोगों को बचाने के लिए राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन टीमों को तैनात किया है।

ब्यास नदी के किनारे बसे अन्य गांवों में भी स्थिति जटिल है। हलेर जनार्दन, कोलियान, मोटला, चकवाल, धनोआ, बेला सरियाना, पासी बेट और आसपास के गांवों में बचाव अभियान जारी है। धुस्सी बंधा टूटने से जगतपुर, दादूवाल, पुराना शाला समेत अन्य गांवों में पानी घुस गया। टांडा के पास रारा, फत्ता कुल्ला और मियानी गांव भी जलमग्न हैं। फंसे हुए ग्रामीणों को निकालने के लिए नावों को काम पर लगाया गया है। जिले के उपायुक्त कोमल मित्तल ने दावा किया कि अब तक 2,500 से अधिक लोगों को बचाया गया है और राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। मित्तल ने कहा कि लगभग 15 गांवों से निकासी का काम अभी भी जारी है और लगभग 1,000 लोगों को राहत शिविरों में भेजा गया है।

बाढ़ की स्थिति को देखते हुए जालंधर को हाई अलर्ट पर रखा गया है। जिला प्रशासन ने फिल्लौर, नकोदर और शाहकोट उपमंडल में सतलुज के धुस्सी बांध के आसपास के गांवों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। उधर, गुरदासपुर जिले के श्री हरगोबिंदपुर उपमंडल में ब्यास बांध के पास लगभग 15 से 20 गांव बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। खेत जलमग्न हो गए हैं और सड़क संपर्क टूट गया है। पुराना शाला गांव में घरों में करीब 4 फीट पानी जमा हो गया है।

इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Chief Minister Bhagwant Mann) ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार बाढ़ की स्थिति पर पैनी नजर रख रही है तथा बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव और राहत अभियान जारी है। पंजाब में एक महीने से अधिक समय में दूसरी बार बाढ़ आई है। नौ जुलाई से 11 जुलाई के बीच राज्य में हुई बारिश से पंजाब के कई हिस्से प्रभावित हुए, जिससे बड़े पैमाने पर कृषि क्षेत्रों और अन्य क्षेत्रों में पानी भर गया और जन-जीवन प्रभावित हुआ था।

मान ने कहा कि राज्य में बाढ़ की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और सरकार हालात पर नजर रख रही है। उन्होंने अपने मंत्रियों से बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने को भी कहा। मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि पंजाब सरकार अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के कारण हिमाचल प्रदेश सरकार और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के साथ लगातार संपर्क में है। मान ने कहा कि पोंग बांध और रणजीत सागर बांध पर भी स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और लोगों के जान माल की रक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में राहत प्रयासों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और वह व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर नजर रख रहे हैं। पंजाब सरकार ने सोमवार को एक परामर्श में गुरदासपुर, अमृतसर, होशियारपुर, कपूरथला और तरनतारन जिलों के निवासियों से कहा था कि वे ब्यास नदी के पास न जाएं, क्योंकि यह निर्णय लिया गया था कि पोंग बांध से पानी छोड़ा जाएगा। बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद यह निचले इलाकों और ब्यास तथा सतलुज नदियों के किनारे स्थित कई गांवों में भी घुस गया। ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ के पानी के कारण कई स्थानों पर खेतों में लगी फसलें भी डूब गई हैं।

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