चंडीगढ़। कांग्रेस (Congress) पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने अब यूपी को छोड़कर पंजाब (Punjab) पर पूरा ध्यान देना शुरू कर दिया है। सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री चन्नी और पार्टी प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू की बात न सुनते हुए जो पहले 86 उम्मीदवार इस बार मैदान में उतारे है उससे यह साफ जाहिर है कि कांग्रेस सुप्रीमो की अपनी एक कोर टीम पंजाब के हर क्षेत्र में काम कर रही है और उसके सर्वे के बाद ही इन टिकटों पर आखिरी फैसला लिया गया।
चुनावों के बाद नतीजे कुछ भी हों लेकिन अभी तक सोनिया और उनकी टीम द्वारा उम्मीदवारों के चुनाव को लेकर जो निर्णय लिए गए है उनके बारे में चर्चा यही हो रही है कि उम्मीदवारों का चयन पंजाब के चुनावी समीकरणों को देखते हुए किया गया है। जिसके कारण पूर्व CM कैप्टन अमरिन्दर सिंह के चुनावी जोड़ तोड़ का गणित गड़बड़ा गया है।
कांग्रेस की पहली लिस्ट आने के बाद माना जा रहा है कि कांग्रेस ने इसमें पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Former Chief Minister Captain Amarinder Singh) के खिलाफ मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है। लिस्ट में कैप्टन के सभी करीबियों को टिकट दे दी गई है। वहीं ज्यादातर विधायक या पिछला चुनाव हारे नेताओ को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया हैं। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि अमरिंदर आगे क्या करेंगे। यह बात इसलिए उठ रही है क्योंकि अमरिंदर दावा करते रहे कि चुनाव आचार संहिता के बाद कई दिग्गज उनके साथ आएंगे। हालांकि अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। सबकी नजर कांग्रेस के टिकट बंटवारे पर थी। उसमें भी कांग्रेस ने फिलहाल कैप्टन के लिए जगह नहीं छोड़ी।
कांग्रेस ने कैप्टन के करीबी रहे विधायक गुरप्रीत कांगड़ और साधु सिंह धर्मसोत को टिकट दी गई है। कैप्टन को CM की कुर्सी से हटाने के बाद कांग्रेस ने इनकी मंत्रीपद से छुट्टी कर दी थी। विधायक बलबीर सिद्धू और सुंदर शाम अरोड़ा (MLA Balbir Sidhu, Sunder Sham Arora) को लेकर भी यही मुद्दा था कि वो कैप्टन के करीबी रहे है। हालांकि इन दोनों की कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी से भी नजदीकी है। वहीं सबसे अहम लुधियाना के दाखा (Ludhiana, Dakha) से कैप्टन संदीप संधू (Capt Sandeep Sandhu) का नाम है। जो कैप्टन के सबसे करीबियों में एक थे। जिन्हे कांग्रेस ने टिकट दे दी है।
कांग्रेस में मंत्री राणा गुरजीत (Minister Rana Gurjit) को भी कैप्टन का करीबी माना जाता है। उन्हें पहले मंत्री पद और अब टिकट भी दी गई है। इसी तरह तेजतर्रार नेता सुखपाल खैहरा (Leader Sukhpal Khaira) को जेल में होने के बावजूद कांग्रेस ने टिकट दे दी गई है। खैहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में ही कांग्रेस में शामिल हुए थे। हालांकि अब वह ईडी के केस में पटियाला जेल में बंद हैं।
यानी हालात ये हैं कि कांग्रेस से जिन विधायकों ने पार्टी छोड़ी, वह अमरिंदर के साथ नहीं जा रहे। इनमें कादियां से फतेहजंग बाजवा, गुरहरसहाय से राणा गुरमीत सोढ़ी और मोगा से हरजोत कमल ने कांग्रेस छोड़ी और BJP में शामिल हो गए। यह कैप्टन की रणनीति है या फिर इन विधायकों की भविष्य की चिंता, इसको लेकर भी सियासी अटकलें जारी हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह का पंजाब में इकलौता मिशन कांग्रेस को सत्ता से बाहर करना है। यही वजह है कि उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस के नाम से अलग पार्टी बनाई। भाजपा के साथ चुनावी गठजोड़ कर लिया लेकिन कोई दिग्गज चेहरा अभी तक उनकी पार्टी से जुड़ता नजर नहीं आया है।
इतना ही नहीं पंजाब में कांग्रेस के 86 कैंडिडेट की पहली लिस्ट आने के बाद 12 कांग्रेसी विधायकों में हड़कंप मचा हुआ है। कांग्रेस ने अपने चार विधायकों की टिकट काट दी है। जबकि पार्टी ने फिलहाल कुल 12 विधायकों की टिकट होल्ड कर दी गई है।
इनकी टिकट काटी जा रही है या फिर विधानसभा क्षेत्र बदला जा रहा है, इसको लेकर चर्चाएं जारी हैं। ये घबराहट इसलिए है कि कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से नजदीकी की वजह से मंत्रीपद से हटाए गुरप्रीत कांगड़ और साधु सिंह धर्मसोत जैसे नेताओं को टिकट दे दी है। वहीं इन 12 विधायकों का नाम लिस्ट में जारी किया है, इनमें कुलदीप वैद, दविंदर घुबाया, रमिंदर आंवला, जोगिंदरपाल भोआ, तरसेम डीसी, सुखपाल भुल्लर, रमनजीत सिक्की, अंगद सिंह, अमरीक सिंह ढिल्लो, सत्कार कौर, सुरजीत धीमान और निर्मल सिंह का नाम शामिल है।
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