नई दिल्ली। दिल्ली की सीमा के पास प्रदर्शन स्थल से लौटे 22 वर्षीय एक किसान ने जहरीले पदार्थ का सेवन करके कथित रूप से खुदकुशी कर ली। पुलिस ने बताया कि बङ्क्षठडा जिले के दयालपुरा मिर्जा गांव के निवासी गुरलाभ सिंह दिल्ली बॉर्डर के पास चल रहे प्रदर्शन का हिस्सा थे। पुलिस ने बताया कि वह शुक्रवार को अपने गांव लौटे थे। पुलिस ने बताया कि उन्होंने शनिवार रात को अपने घर पर जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया।
उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने बताया कि आत्महत्या के कारण का पता लगाया जाएगा। पंजाब और हरियाणा समेत देश के अलग-अलग इलाकों के किसान दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार इन कृषि कानूनों को रद्द करे।
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन् कर रहे किसानों के लिए नौ डॉक्टरों की एक टीम ने रविवार को दो दिवसीय चिकित्सा शिविर लगाया जिसमें उन प्रदर्शनकारियों का इलाज किया जाएगा जिन्हें आंखों से संबंधित परेशानी है। ये डॉक्टर पंजाब में गढ़शंकर से आए हैं। इस टीम में आंखों के डॉक्टर, फिजियोथेरेपिस्ट और फिजिशियन शामिल हैं। प्रदर्शन स्थल पर यह उनका चौथा दौरा है। दल में शामिल सभी डॉक्टर गढ़शंकर में अपनी ड्यूटी कर शनिवार शाम सिंघू बॉर्डर के लिए रवाना हुए।
करीब एक महीने से सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान कड़ाके की ठंड, धूल और प्रदूषण की वजह से आंखों में खुश्की, पानी आने और अन्य समस्याओं की शिकायत कर रहे हैं। डॉक्टरों ने बताया कि इस अस्थायी शिविर में आंखों की जांच करने वाले उपकरण, लुब्रिकेंट, एंटीबॉडी और एलर्जी रोधी आईड्राप सहित 70 हजार रुपये के सामान हैं। उन्होंने कहा कि समस्या का सामना कर रहे प्रदर्शनकारियों को इन दवाओं से अस्थायी राहत मिलेगी। दल में शामिल आंखों के डॉक्टर 27 वर्षीय राजदीप सिंह ने बताया कि प्रदर्शन् में शामिल महिलाओं, बुजुर्ग और युवा सहित कई लोग शिविर में आए और खुश्की एवं आंखों में जलन की शिकायत की।
उन्होंने बताया कि जब हम तीसरे चिकित्सा शिविर के लिए सिंघू बॉर्डर आए थे तब हमें यहां आंखों के लिए अलग से शिविर लगाने की जरूरत महसूस हुई। सिंह ने कहा, ‘हम पहली बार यहां नहीं आए हैं। हम सप्ताहांत पर आम चिकित्सा शिविर लगाते थे। पिछली बार जब हम आए तो कई लोग आंखों की समस्या के साथ आए। इनमें से कुछ ने आंखों में खुश्की तो अन्य ने जलन की शिकायत की। इससे हमें महसूस हुआ कि इसका इलाज करने के लिए सुविधा नहीं है और फिर हमने केवल आंखों के लिए जांच शिविर लगाने का फैसला किया।’
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