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    Punjab: अमृतपाल और बेअंत के बेटे की जीत ने उजागर किया सिखों में बढ़ता असंतोष, अलगाववाद का नया मोर्चा हो रहा मजबूत?

  • June 05, 2024


    चंडीगढ़: पंजाब (Punjab) की 13 लोकसभा (Lok Sabha) सीटों के नतीजे आ चुके है। प्रदेश की 13 सीटों में 7 पर कांग्रेस (Congress) ने, 3 पर आम आदमी पार्टी (AAP और एक सीट पर शिरोमणि अकाली दल ने जीत हासिल की है। लेकिन जिन दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों जीत दर्ज की है उसने पूरे देश को चौंका दिया है। ये दो सीटों इनमें खडूर साहिब और फरीदकोट की है। खडूर साहिब लोकसभा सीट से खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) की जीत हुई है। अमृतपाल इस वक्त देशद्रोह के आरोप में असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। वहीं फरीदकोट से सर्बजीत सिंह खालसा (Sarabjit Singh Khalsa) की जीत हुई है। सर्बजीत खालसा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले बेअंत सिंह का बेटा है। खडूर साहिब और फरीदकोट के नतीजे पारंपरिक राजनीतिक दलों के प्रति सिखों के बीच बढ़ते असंतोष को उजागर करते हैं।

    कैसे मिली अमृतपाल को जीत
    सबसे पहले बात करते हैं अमृतपाल की। अमृतपाल कोपंजाब में आए ज्यादा समय नहीं हुआ है। लेकिन उसने यहां आते ही लोगों के दिलों में जगह बना ली। उसने सबसे बड़ी समस्या नशे को पहचाना और उसे खत्म करने की मुहिम शुरू की। उसने कई युवाओं को नशा छुड़ाने का दावा किया। इसके अलावा धर्म के प्रति अमृतपाल की सोच कट्‌टर थी। खडूर साहिब पंथक सीट थी, इसलिए नशा छुड़ाने की आस और अमृतपाल की धर्म के प्रति सोच ने लोगों को आकर्षित किया।

    आप और बीजेपी के प्रति नाराजगी बनी सर्बजीत की जीत का कारण
    वहीं फरीदकोट सीट पर सर्बजीत की जीत के पीछे लोगों की आप और बीजेपी के पीछे की नाराजगी रही। बेअंत सिंह के बेटा का मुकाबला आप उम्मीदवार कर्मजीत अनमोल और बीजेपी के हंसराज हंस से था। यहां आप सरकार के प्रति लोगों में नाराजगी थी। बीजेपी की वजह से हंसराज हंस से किसानों की नाराजगी थी। इसी वजह से लोगों का झुकाव सर्बजीत खालसा की तरफ हो गया। इससे पहले सर्बजीत खालसा ने जितने भी चुनाव लड़े उसे हार का सामना कर पड़ा था।

    दोनों ने लोगों को खुद से जोड़ा रखा
    अमृतपाल सिंह की बात करें तो उसने लोगों की नब्ज को भांप लिया था। उसने पंथ को साथ लेकर चलने का सबसे बड़ा कारण ही लोगों को जज्बाती तौर पर खुद के साथ जोड़ना था। बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा ने भी यही किया। वो लोगों के बीच गया और अपने पिता के काम को कुर्बानी का रूप देकर लोगों से वोट मांगे। अमृतपाल सिंह की मां और पिता ने लोगों से बेटे को जेल से छुड़वाने के नाम पर वोट मांगे। ऐसे में लोगों जज्बाती होकर दोनों को वोट दिए। ऐसे में दोनों ने जीत हासिल की।

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