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    पुणे कार हादसा : नाबालिग आरोपी का दादा भी गिरफ्तार, जाने क्या है वजह

  • May 25, 2024

    पुणे. महाराष्ट्र के पुणे (Pune) में हुए पोर्शे हिट एंड रन केस (Porsche Hit and Run Case) में पुणे ने नाबालिग आरोपी (minor accused) के दादा (Grandfather) सुरेंद्र अग्रवाल (Surendra Agarwal) को अब गिरफ्तार (arrested) किया है. पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि ड्राइवर (Driver)को धमकाने और घटना वाले दिन उसे घर में किडनैप करके रखने के मामले में गिरफ्तारी हुई है. पुलिस के मुताबिक, ड्राइवर ने सुरेंद्र अग्रवाल के खिलाफ पुलिस कंप्लेंट दायर की है, जिसके आधार पर उनके खिलाफ अपहरण और धमकी का केस दर्ज कर पुलिस ने गिरफ्तार किया है.


    बता दें कि पुणे के कल्याणी नगर में रविवार तड़के इस नाबालिग आरोपी ने अपनी तेज रफ्तार पोर्शे कार ने एक बाइक को टक्कर मार दी थी, जिससे उस पर सवार एक युवक और युवती की मौके पर ही मौत हो गई थी. इस मामले में नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने अगले ही दिन जमानत दे दी थी. हालांकि इस मामले पर देशभर में नाराजगी के बाद पुलिस अब ताबड़तोड़ एक्शन कर रही है.

    ड्राइवर पर इल्जाम डालने की हुई कोशिश
    पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि पोर्शे कार हादसे के मामले में सबूतों से छेड़छाड़ कर यह दिखाने की कोशिश की गई कि हादसे के समय गाड़ी 17 वर्षीय लड़का नहीं, बल्कि उसका ड्राइवर चला रहा था. उन्होंने कहा कि उनकी यह कोशिश नाकाम रही, क्योंकि हमारे पास उसके (किशोर के) पब में शराब पीने के सीसीटीवी फुटेज हैं. कहने का मतलब यह है कि हमारा मामला केवल खून की रिपोर्ट पर निर्भर नहीं है और हमारे पास दूसरे सबूत भी हैं.’

    अमितेश कुमार ने कहा, ‘वह (किशोर) पूरी तरह होश में था, उसे अच्छी तरह पता था कि उसके इस कदम से इस तरह का हादसा हो सकता है जिसमें धारा 304 लागू होती है.’ वहीं आरोपी किशोर को एक्सीडेंट के बाद पुलिस थाने में पिज्जा खिलाए जाने की खबरों पर उन्होंने कहा, ‘हमने साफ कहा है कि थाने में पिज्जा पार्टी नहीं हुई थी, लेकिन हां, कुछ ऐसा हुआ था कि जिस पर हमने आंतरिक जांच शुरू की.’ उन्होंने कहा, ‘हम इस मामले को पूरी तरह पुख्ता बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हमने आरोपी के पिता और बार संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. सबूतों का तकनीकी विश्लेषण किया जा रहा है.’

    पुलिस बोली- हमारे पास पुख्ता सबूत
    पुलिस अधिकारी ने कहा कि आंतरिक जांच में इस बात की ओर इशारा हुआ है कि मामला दर्ज करने में कुछ पुलिसकर्मियों की ओर से चूक हुई. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘हमारी जांच के दौरान यह बात साफ हो गई है कि किशोर ही कार चला रहा था और हमने घटनाक्रम से संबंधित सभी जरूरी साक्ष्य जुटा लिए हैं. उदाहरण के लिए जब किशोर घर से निकला था तो रजिस्टर में उसके कार के साथ घर से निकलने की एंट्री है.’

    पुलिस आयुक्त ने कहा कि तकनीकी और सीसीटीवी सबूतों के आधार पर इस बात की पुष्टि हुई है कि कार को किशोर चला रहा था. उन्होंने कहा कि चश्मदीदों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि घटना के समय कार किशोर चला रहा था. कुमार ने कहा कि ऐसा दिखाने का प्रयास किया गया कि रविवार तड़के तीन बजे के आसपास जब शहर के कल्याणी नगर इलाके में पोर्श कार से दो लोगों को टक्कर लगी थी तब कार किशोर नहीं उसके परिवार का एक ड्राइवर चला रहा था.

    उन्होंने कहा, ‘हम इन बातों की जांच कर रहे हैं और ऐसी कोशिश करने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 201 (सबूत नष्ट करना) के तहत कार्रवाई करेंगे.’ बल्ड सैंपल के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि किशोर को मामला दर्ज होने के बाद रविवार सुबह करीब नौ बजे ससून अस्पताल भेजा गया था. उन्होंने कहा, ‘रक्त के नमूने लेने में देरी हुई और रात 11 बजे नमूने लिए गए लेकिन हमारे मामले में खून की रिपोर्ट प्रमुख आधार नहीं है.’

    गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज
    कुमार ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया है और किशोर को अच्छी तरह पता था कि नशे की हालत में गाड़ी चलाने से इस तरह का अपराध हो सकता है और लोगों की जान जा सकती है. एहतियाती उपाय के रूप में, एक अन्य प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए अतिरिक्त रक्त नमूने लिए गए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नमूने और डीएनए रिपोर्ट दोनों एक ही व्यक्ति के हों. उन्होंने कहा, ‘हमें रक्त जांच की रिपोर्ट नहीं मिली हैं लेकिन प्रक्रिया को तेज किया जा रहा है.’

    कुमार ने कहा कि प्रारंभिक प्राथमिकी में धारा 304 ए (लापरवाही से मौत) लागू की गई थी, लेकिन उसी दिन इसकी जगह धारा 304 को लागू कर दिया गया. पुलिस आयुक्त ने कहा कि एसीपी स्तर के एक अधिकारी को जांच सौंपी जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या सबूतों के साथ छेड़छाड़ या उन्हें नष्ट करने का कोई प्रयास किया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि अदालत में पुलिस का पक्ष प्रभावी तरीके से रखने के लिए विशेष वकीलों की नियुक्ति की जाएगी.

    कुछ पुलिस कर्मियों को गलत तरह से काम कराने के लिए मनाने के आरोपों के बारे में शिकायतों पर कुमार ने कहा कि पुलिस ने शुरू से ही सख्त रुख अपनाया है. उन्होंने कहा, ‘इसलिए यह कहना सही नहीं है कि पुलिस पर दबाव था या पुलिस की ओर से लापरवाही हुई. लेकिन यह पता लगाने के लिए जांच जारी है कि पहली बार में धारा 304 क्यों नहीं लगाई गई.’

    कुछ चश्मदीदों पर दबाव होने की शिकायतों के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा, ‘अगर इस तरह की बात सामने आई तो संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’

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