उज्जैन। नगर निगम और पंचायत चुनाव की सरकारी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अब फैसला सरकार पर है कि वह जून माह में दोनों चुनाव कराती है या नहीं। फिलहाल मतदाता सूची का प्रकाशन हो चुका है और अंतिम सूची का प्रकाशन 25 अप्रैल को हो जाएगा, लेकिन दोनों ही चुनाव जून माह में हो पाएँगे या नहीं, इस पर अभी संशय है। स्थानीय निर्वाचन कार्यालय में पंचायत और नगर निगम चुनाव को लेकर तैयारियाँ शुरू हो चुकी है। 4 अप्रैल को मतदाता सूची का प्रकाशन हो चुका है। अब दावे आपत्तियों के बाद 25 अप्रैल को फाइनल सूची जारी की जाएगी। इसके बाद आरक्षण एवं अन्य प्रक्रिया होने के पश्चात चुनाव कराने की बात कही जा रही है लेकिन सरकार चाहेगी तो जून माह में पंचायत और नगर निगम के चुनाव हो सकते हैं। वैसे पंचायत चुनाव में भी आरक्षण की पूरी प्रक्रिया बाकी है। इसमें पंच, सरपंच, जनपद, जिला पंचायत के वार्डों का आरक्षण होना है।
इस प्रक्रिया में समय लगता है, वहीं नगर निगम के आरक्षण प्रक्रिया भी जब चुनाव होने वाले थे तब हुई थी और तब से लेकर अब अभी तक करीब 1 वर्ष का समय हो गया है। ऐसे में फिर से आरक्षण की प्रक्रिया भी हो सकती है लेकिन उज्जैन नगर निगम चुनाव आरक्षण को लेकर मामला कोर्ट में है और वहाँ से क्या फैसला आता है, इसी पर उज्जैन नगर निगम के वार्डों का आरक्षण निर्भर है, यदि आरक्षण एवं अन्य प्रक्रिया सरकार जून माह में नियुक्ति लेती है तो जुलाई माह में बारिश शुरू हो जाएगी और ऐसे में फिर चुनाव अक्टूबर-नवंबर तक चल सकते हैं। वैसे भी नगर निगम के चुनाव तो पूरे डेढ़ साल पीछे चल गए हैं और अगर जुलाई माह में चुनाव नहीं हुए तो पूरे 2 साल हो जाएँगे। फिलहाल स्थानीय निर्वाचन कार्यालय में मतदाता सूची का प्रकाशन हो चुका है और 25 अप्रैल को फाइनल मतदाता सूची का प्रकाशन कर दिया जाएगा। लेकिन चुनाव को लेकर अभी तक धूल नहीं छटी है कि दोनों चुनाव कब हो पाएंगे। नगर निगम में निर्वाचित बोर्ड नहीं होने के कारण अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। समय पर आम जनता के काम नहीं हो पा रहे हैं, वहीं पंचायतों में भी यही हाल है, यहां पंचायतों के सचिव और अन्य पंचायत कर्मी मनमानी पूर्ण कार्य कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को चुनाव कराना जरूरी है।
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