उज्जैन। पूरी दुनिया आज विश्व मलेरिया दिवस मना रही है। इसकी रस्म अदायगी मलेरिया विभाग भी सप्ताहभर पहले आज से मलेरिया के प्रति जागरूकता सप्ताह मनाने की घोषणा कर चुका है। पूरा शहर मच्छरों से परेशान हैं। शहर की जनता इसके परिणामों के प्रति जागरूक है लेकिन मलेरिया विभाग और नगर निगम लोगों को मच्छरों से राहत देने के कोई काम नहीं कर रहे हैं। विश्व मलेरिया दिवस आज है लेकिन जिले में मलेरिया विभाग का अभियान हर साल जुलाई और अगस्त के महीने में शुरु होता है। प्रतिवर्ष मलेरिया की रोकथाम के लिए विभाग द्वारा लाखों रुपए की गंबूशिया मछली खरीदी जाती है तथा बरसात के दौरान पानी से भरे पोखर और गड्ढों में उन्हें छोड़ा जाता है। बारिश के सीजन में भी शहर को 3 अलग-अलग भागों में बाँटकर मलेरिया विभाग द्वारा टीमें गठित की जाती है और लार्वा नष्ट करने के लिए लगाया जाता है।
उस दौरान नगर निगम भी मलेरिया विभाग के साथ-साथ विशेषकर उन वार्डों में कीटनाशक और अन्य दवाओं का छिड़काव करने पहुँच जाती है जहाँ मलेरिया या डेंगू के मरीज पाये जाते हैं। शेष स्थानों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता। इधर गर्मी शुरु होते ही पूरे शहर में मच्छरों की भरमार हो गई है। शहरी क्षेत्र के साथ-साथ दूर दराज की कॉलोनियों में तो हालत यह है कि मच्छरों के कारण लोगों ने सूरज ढलने के बाद घरों से निकलना कम कर दिया है, क्योंकि लोग स्वयं जानते हैं कि अगर वे मच्छरों से नहीं बचे तो उन्हें मलेरिया या डेंगू हो सकता है। हैरत की बात है कि गर्मी का सीजन शुरु हुए करीब दो माह का समय बीतने को है लेकिन इस बीच मलेरिया विभाग और नगर निगम ने शहर को मच्छरों से मुक्त करने का कोई बड़ा अभियान नहीं चलाया है। आज विश्व मलेरिया दिवस से लेकर पूरे सप्ताह में मलेरिया विभाग लोगों को मलेरिया के प्रति जागरूक करने के अभियान की रस्म अदायगी करेगा।
पिछले साल डेंगू ने बनाया था रिकार्ड
उल्लेखनीय है कि पिछले साल कोरोना की तीसरी लहर के साथ-साथ डेंगू ने भी जिले में रिकार्ड बनाया था। स्थिति यह थी कि गत वर्ष पूरे जिले में डेंगू पीडि़त मरीजों का आंकड़ा 900 के पार चला गया था। इतना ही नहीं डेंगू के मरीजों के उपचार के लिए जरूरी प्लेटलेट्स हेतु सरकारी और निजी पैथोलॉजियों में ब्लड यूनिट के लिए कतारें लग रही थी। पिछले साल डेंगू के साथ-साथ मलेरिया के मरीज भी बड़ी संख्या में मिले थे लेकिन मलेरिया विभाग उन्हीं मरीजों के आंकड़े रिकार्ड में शामिल कर रहा था जिन्होंने डेंगू और मलेरिया की जाँच निजी लेब की बजाय सरकारी लेब में कराई हो, अन्यथा यह आंकड़ा कई गुना अधिक होता।
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